आज का मुख्य समाचार यही था,की जानी मानी हस्ती को एक साधारण व्यक्ति ने थप्पड़ मारा,यह वास्तव में एक निंदनीय कृत्य है जनसाधारण की माने तो यह हिंसक प्रवृति है पर जब उस अकेले व्यक्ति पर सभी ने हाथ उठाया तब वह कौन-सी प्रवृति थी?
सवाल यह है की यह निंदनीय कृत्य क्यों हुआ जो नहीं होना था, यह दुबारा न दोहराया जाये इसी लिए अब जागना और जगाना जरुरी है, साथ ही शासक वर्ग को यह समझना जरुरी है की यह हिंसक प्रवृत्ति शायद निरंतर कुशासन और भ्रष्टाचार की ही प्रतिक्रिया है....
सवाल यह है की यह निंदनीय कृत्य क्यों हुआ जो नहीं होना था, यह दुबारा न दोहराया जाये इसी लिए अब जागना और जगाना जरुरी है, साथ ही शासक वर्ग को यह समझना जरुरी है की यह हिंसक प्रवृत्ति शायद निरंतर कुशासन और भ्रष्टाचार की ही प्रतिक्रिया है....
6 टिप्पणियां:
संगीता जी,आज हर बात के पीछे राजनीति ही हो रही है.
चाहे अन्नाजी का अनशन हो,या शरद पँवार जी पर पड़ा थप्पड़.
मेरे ब्लॉग पर आप आयीं,इसके लिए बहुत बहुत आभार आपका.
किसी भी व्यक्ति पर किसीके द्वारा हाथ उठाना एक सभ्य समाज में निंदनीय कृत्य ही माना जायेगा लेकिन हम हाथापाई की स्थिति को ही बर्बरता का प्रतीक मान कर क्षुब्ध क्यों होते हैं ! ऐसे माननीयों के कृत्यों पर वर्षों से समाचार पत्र, टी वी व अन्य जनसंपर्क माध्यमों के द्वारा जो कीचड़ उछाला जा रहा है वह भी जनता के आक्रोश को व्यक्त करने के लिये यथेष्ट है !
Ji shukriya. Aapne sahi farmaya.
यह थप्पड़ भी न...क्या कहूँ ??
yah
sabhi rachnayein bahut hi sunder hai ........... ek sath sabke liye comment kar rahe hain
एक टिप्पणी भेजें