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शनिवार, 28 जनवरी 2012

अश्क गाँधी के

तीरगी के दामन पर रोज उभरता है एक चेहरा,
खामोश सी आँखे सादगी में लिपटी नजर.........
कभी बुने थे उनने चाँद तारों व् बहारों से महकते हिंद के सपने,
 देखे थे खुशहाली के ख़्वाब ,,देखे बुलंदियों के सपने...........
वादियों के लहलहाने का बेताबी से था  इंतज़ार उसे ,
तीरगी के दामन पर रोज उभरता है एक चेहरा .
खामोश सी आँखे सादगी में लिपटी नजर......
देखे थे कई ख़्वाब उसने हिन्दुस्तान के वास्ते ,
सोचा न था कि दायरों में सिमट जाएगा इंसान का वजूद ......
गुम हो जायेंगी तहजीब-ऐ-जिंदगी मिट जाएगा फुरोगे-जूनून
बेरंग सी तस्वीरों में भी अब नहीं उभरता  फनकारों का हुनर,
रोंदी हुई आवाजों के शोर से, कांपते कलेजे को थामें जमीं भी गई है थम .
तीरगी के दामन पर रोज उभरता है एक चेहरा देखे थे कई ख़्वाब जिसने हिन्दोस्तान
के वास्ते...................
लपकती हुई आंधी ,और दहकते हुए शोले कौम का जनाजा निकलने पर तुले हैं ,
मिटा इंसानियत के तकाजे ,हिंद कि तस्वीर बिगाड़ने पर तुले हैं ....
अब तो संभल जाओ वरना सुपुर्दे ख़ाक हो जायेंगे ,
खोज भी न पायेंगे दास्ताँ अपनी दास्तानों में ,
तीरगी के दामन पर रोज उभरता है एक चेहरा
उदास सी आँखें खामोश सी नजर ,देखे थे कई ख़्वाब जिसने हिन्दोस्तान के वास्ते!!!!


34 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

लपकती हुई आंधी ,और दहकते हुए शोले कौम का जनाजा निकलने पर तुले हैं ,
मिटा इंसानियत के तकाजे ,हिंद कि तस्वीर बिगाड़ने पर तुले हैं ....सही तस्वीर रखी है

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

गाँधी का हिन्दुस्तान यह सपना तो तो गाँधी के सामने ही टूट गया था .. रही सही कसार आज के नेता पूरी कर रहे हैं ... सशक्त रचना

सूत्रधार ने कहा…

बंसतोत्‍सव की अनंत शुभकामनाऍं

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर।
आज सरस्वती पूजा निराला जयन्ती
और नज़ीर अकबारबादी का भी जन्मदिवस है।
बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Shanti Garg ने कहा…

कुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

गाँधी का हिन्दुस्तान ऐसा तो न था...बहुत सही तस्वीर पेश किया है|

ASHOK BIRLA ने कहा…

दिल से नमन है उन शांति और अहिंसा का पुजारी को !!

संजय भास्‍कर ने कहा…

सशक्त रचना
आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सुंदर सशक्त अच्छी रचना,..लाजबाब प्रस्तुति,..

--26 जनवरी आया है....

Mamta Bajpai ने कहा…

प्रभावी रचना

मन को छू गयी

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सच है हमें जागना ही होगा..... सुंदर सन्देश लिए रचना

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन और अच्छा संदेश देती रचना।


सादर

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 30/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

sushila ने कहा…

सुंदर संदेश लिए प्रेरक रचना। अवाम को जागना ही होगा।

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

बेहद खूबसूरत रचना ...प्रभावित करती हुई

dinesh aggarwal ने कहा…

जन जागृति का अहसास कराती सुन्दर रचना....

prerna argal ने कहा…

आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२८) मैं शामिल की गई है /आप आइये और अपने सन्देश देकर हमारा उत्साह बढाइये /आप हिंदी की सेवा इसी मेहनत और लगन से करते रहें यही कामना है /आभार /

बेनामी ने कहा…

बहुत खूब शानदार रचना....नमन है बापू को |

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

लाजबाब,बहुत सुंदर प्रस्तुति,
सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया, एक ब्लॉग सबका , "एक्टिवे लाइफ" और "आज का आगरा" ब्लॉग ओर से बापू को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हु !
एक ब्लॉग सबका '

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गांधी जी के चाहने वालों ने ही उनके सपने मिटा दिए हैं ... फिर आम लोग तो क्या करें ...

Sadhana Vaid ने कहा…

गाँधी जी के अंतर्मन की व्यथा के स्वर में हर सच्चे भारतवासी के स्वर भी मिले हुए हैं ! आज हर निष्ठावान, समर्पित और ईमानदार हिन्दुस्तानी इसी तरह दर्द के सागर में आकण्ठ डूबा हुआ है ! एक अत्यंत संवेदनशील रचना ! बधाई स्वीकार करें !

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर रचना,लाजबाब प्रस्तुती .

MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...

S.N SHUKLA ने कहा…

इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें.
कृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" पर पधार कर मेरे प्रयास को भी अपने स्नेह से अभिसिंचित करें, आभारी होऊंगा.

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

sunder sandesh deti rachna.

Madhuresh ने कहा…

Urdu ki bheeni khuboo liye hue, achhe sandesh deti rachana!
bahut saraahna!

Rajat Yadav ने कहा…

ABHI BHI WAQT HAI SAMBHALNE KA.
DIL KO CHHUNE WALI RACHNA HAI.

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

vah sangita ji kya khoob likha hai apne ....badhai.

virendra sharma ने कहा…

लपकती हुई आंधी ,और दहकते हुए शोले कौम का जनाजा निकलने पर तुले हैं ,
मिटा इंसानियत के तकाजे ,हिंद कि तस्वीर बिगाड़ने पर तुले हैं ....
अब तो संभल जाओ वरना सुपुर्दे ख़ाक हो जायेंगे ,
खोज भी न पायेंगे दास्ताँ अपनी दास्तानों में ,
तीरगी के दामन पर रोज उभरता है एक चेहरा
उदास सी आँखें खामोश सी नजर ,देखे थे कई ख़्वाब जिसने हिन्दोस्तान के वास्ते!!!!
बहुत सार्थक गहन अनुभूतियों से प्रेरित अपने बहुत सार्थक गहन अनुभूतियों से प्रेरित अपने पण से मुल्क के प्रति प्रेम से संसिक्त रचना .बहुत सार्थक गहन अनुभूतियों से प्रेरित अपने मुल्क के प्रति प्रेम से संसिक्त रचना ..

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

सोये हुओं को झकझोरती बुलंद रचना, वाह !!!!!!!!

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बेहतरीन सशक्त रचना ...

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

महात्मा गांधी का स्वप्न शायद ही कभी पूरा हो !

यथार्थ को प्रस्तुत करती भावपरक कविता।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सटीक और सार्थक प्रस्तुति...

prerna argal ने कहा…

ब्लॉगर्स मीट वीकली (29)सबसे पहले मेरे सारे ब्लोगर साथियों को प्रेरणा
अर्गल का प्रणाम और सलाम/आप सभी का ब्लोगर्स मीट वीकली (२९)में स्वागत है
/आप आइये और अपने संदेशों द्वारा हमें अनुग्रहित कीजिये /आप का आशीर्वाद
इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है...
Read More...
http://hbfint.blogspot.in/2012/02/29-cure-for-cancer.html

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