दुआओं से दामन तेरा आबाद होगा अब भी ,
रहगुजर पर टिकी होगी खामोश नजर तेरी अब भी ,
आसमां से टूटे तारों से आज भी मेरी खैरियत ही चाही होगी ,
तभी तो मैं हालत-ऐ -जुल्मत में रोशनी की तरह आबाद हूँ ,
तू मेरी माँ है ,जिसके मुकददर की इबारत हूँ में अब भी :::::
रात की सतह पर उभरे हुए तेरे चेहरे पर सादा सी नजर ,
आज भी मेरी आरजुओं के एवान सजाती है ,
चंद घडियों के लिए ही सही मेरी इबादत असर ले आये तो सही,
कि, खुदा बक्श दे मेरी माँ मुझे पल भर के लिए ही सही ,
तेरी जागी हुई रातों का सिला दे दूँ मैं तुझे ,
रूहे तक्सीदो वफा (पवित्र आत्मा) तेरे सजदों में झुका है मेरा वजूद तमाम अब भी .........
संगीता
आज भी मेरी आरजुओं के एवान सजाती है ,
चंद घडियों के लिए ही सही मेरी इबादत असर ले आये तो सही,
कि, खुदा बक्श दे मेरी माँ मुझे पल भर के लिए ही सही ,
तेरी जागी हुई रातों का सिला दे दूँ मैं तुझे ,
रूहे तक्सीदो वफा (पवित्र आत्मा) तेरे सजदों में झुका है मेरा वजूद तमाम अब भी .........
संगीता