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मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

ममता एक खूबसूरत एहसास

कैसे भूल सकती हूँ आज भी वह पल ,वह एहसास जो मेरे साथ ता-उम्र बावस्ता  है,
तब तुम मेरे मन के सूने गलियारे में पहचानी सी परछाई के मानिंद चुपके से आये थे .
तुम्हारी कोमल सी पदचाप मेरे वजूद से बिंध गई और तभी मेरा प्रथम परिचय हुआ तुमसे........
हाँ मेरे अंश मेने तुम्हें तभी पहचाना था .
अपने ही चेहरे की लकीरों में तुम्हारा चेहरा तलाशती मैं,
तुम्हारी मासूम से क़दमों की हरकतों से तुम्हारी शरारतों को टटोलती ,
बेकल सी मूक हो तुम्हारी आवाज सुनाने को बेताब मैं,
हाँ मेरे अंश मैने तुम्हें तब प्रथम महसूस किया था ,
नित विविधता से तुम्हारे शुभागमन की बाट जोहती मैं,
तुम्हारी कोमल आँखों में अपनी छवि देखने को बेताब मैं ,
मन के कोरे कैनवास पर तुम्हें विविधता से उकेरती ,
अपनी कल्पनाओं से अठखेलियाँ कराती मैं ,
हाँ मेरा तुमसे सबसे पावन नाता बंधा गया और आज भी ,
मैं उसे ही तो जी रहीं हूँ ....................  

34 टिप्‍पणियां:

अशोक सलूजा ने कहा…

माँ की ममता का ये खूबसूरत एहसास ...
औलाद की अनमोल निधि ...
जिससे मैं महरूम रहा ...

शुभकामनाएँ आप दोनों को !
आशीर्वाद!

बेनामी ने कहा…

बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट।

रविकर ने कहा…

पोर-पोर में प्यार है, ममता अंश असीम ।

दर्शन तुझमे ही करूँ, अपने राम रहीम ।

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

उस खूबसूरत एहसास की अभिव्यक्ति भी उतनी ही खूबसूरत...

रश्मि प्रभा... ने कहा…

हाँ मेरा तुमसे सबसे पावन नाता बंधा गया और आज भी ,
मैं उसे ही तो जी रहीं हूँ ...........
माँ यही तो जीती है

कविता रावत ने कहा…

तुम्हारी कोमल आँखों में अपनी छवि देखने को बेताब मैं ,
मन के कोरे कैनवास पर तुम्हें विविधता से उकेरती ,
अपनी कल्पनाओं से अठखेलियाँ कराती मैं ,
हाँ मेरा तुमसे सबसे पावन नाता बंधा गया और आज भी ,
मैं उसे ही तो जी रहीं हूँ ............
....Maa ke antarman se upji sundar prastuti...

Asha Joglekar ने कहा…

नन्हे मेहमान के आने की आहट ही मां को किस कल्पना संसार में ले जाती है जहां वह घंटो अपने शिशु से बातें करती रहती है ।

sangita ने कहा…

Thanx.or aabhar.

Saras ने कहा…

सबसे निर्मल रिश्ता .....बहुत सुन्दर !

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

,बेहतरीन माँ के रिश्तों और अहसासों की सुंदर प्रस्तुति,.....

RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

ye komal ehsas ek maa ke man me sada zinda rahte hain.

Satish Saxena ने कहा…

ममता की पुकार का जवाब भी प्यारा होगा ....शुभकामनायें आपको !

संध्या शर्मा ने कहा…

हाँ मेरा तुमसे सबसे पावन नाता बंधा गया और आज भी ,
मैं उसे ही तो जी रहीं हूँ ....................
ममता से भरी पंक्तियाँ... हमारा भी बेटा अंश ही है आपकी तरह, उसके लिए ही जीती हूँ, सारे सपने उसके लिए हैं उसके सिवा कुछ नहीं हमारे जीवन में... सुन्दर रचना ... शुभकामनायें

केवल राम ने कहा…

माँ की ममता जीवन के हर सुख दुःख में सहारा होती है .....! भावपूर्ण प्रस्तुति

राकेश जैन ने कहा…

Achha likha hai ek shabdateet bhav ko...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Hridaysparshi Bhav..... Bahut Sunder

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

Sundar Rachna aabhar aapka:-)

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

ममत्व भरी रचना....

babanpandey ने कहा…

शब्द -शब्द में वात्सल्य प्रेम की झलक ... मेरे भी ब्लॉग पर आये

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

उम्दा !!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ममंत्व का भाव अपूर्व और पावन होता है ... इन भावों को शब्द दिये अहिं आपने ...

सदा ने कहा…

हर शब्‍द मॉं के स्‍नेह से भीगा हुआ ...भावमय कर गया ..

kanu..... ने कहा…

mamma ki yaad aa gai ye post padhkar....:)

रचना दीक्षित ने कहा…

माँ का ममतामयी संसार सचमुच अद्भुत है.

भावमयी प्रस्तुति.

Maheshwari kaneri ने कहा…

ममत्व का अद्भुत अहसास ...बहुत सुन्दर....संगीता जी..आभार..

sangita ने कहा…

Aapka aabhar

Kailash Sharma ने कहा…

हर शब्द माँ के प्रेम से सराबोर है...बहुत सुन्दर

mridula pradhan ने कहा…

vatsaly se bharpoor.......

Sadhana Vaid ने कहा…

वात्सल्य के अद्भुत अहसास से परिपूर्ण बहुत ही भावपूर्ण रचना है संगीता ! हर्षित का इतना प्यारा फोटो देख कर मन प्रसन्न हो गया ! मेरी अनंत शुभकामनायें स्वीकार करो !

Aruna Kapoor ने कहा…

माँ की ममता का साक्षात्कार इन पक्तिओं में छिपा है!...सुन्दर प्रस्तुति!....आभार!

Kirti Kumar Gautam ने कहा…

हम भी कैसे भूल सकते है उन पलो को .........

Atul Shrivastava ने कहा…

बेहतरीन......
लाजवाब।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

ममता का एहसास कराती बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना!

lamhe ने कहा…

beyond words!

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