अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं ,
वक्त आया है की अब बुद्धिबल दिखाएँ .
देश का दुर्भाग्य न बने आज फिर वह राह बनाएं
अब कोई वार्ता और कोई छल नहीं ,
आकाश के तारों की भांति टिमटिमाना छोड़ दें ,
आदित्य की पावक ,अनल दुशाला ओढ़ लें
अमृत की आशा में गरलपान अब और नहीं
खो गया विश्वास और भूल चले उल्ल्हास है
असफल और अकुशल अब इस जगत का व्यवहार है ,
अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं
आज अग्नि वीणा पर दग्ध कंठ का गान है
सुप्त जागृत हुआ और मौन मुखरित प्राण है
छल-छद्म की अठखेलियाँ और नहीं बस और नहीं
अब नहीं होगा कहीं अवसाद का सम्मान है
गलते रहें ,बहते रहें,जलते रहें स्वीकार नहीं
निर्भीक भ्रष्ट आचरण का वैभव गान अब और नहीं |
वक्त आया है की अब बुद्धिबल दिखाएँ .
देश का दुर्भाग्य न बने आज फिर वह राह बनाएं
अब कोई वार्ता और कोई छल नहीं ,
आकाश के तारों की भांति टिमटिमाना छोड़ दें ,
आदित्य की पावक ,अनल दुशाला ओढ़ लें
अमृत की आशा में गरलपान अब और नहीं
खो गया विश्वास और भूल चले उल्ल्हास है
असफल और अकुशल अब इस जगत का व्यवहार है ,
अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं
आज अग्नि वीणा पर दग्ध कंठ का गान है
सुप्त जागृत हुआ और मौन मुखरित प्राण है
छल-छद्म की अठखेलियाँ और नहीं बस और नहीं
अब नहीं होगा कहीं अवसाद का सम्मान है
गलते रहें ,बहते रहें,जलते रहें स्वीकार नहीं
निर्भीक भ्रष्ट आचरण का वैभव गान अब और नहीं |