क्षितिज के झरोंखो से किरणों के झांकते ही फज़ा रोशन हुई ,
रास्ते मुस्कुराने लगे ,रवि ने समेट ली नर्म कोहरे की चादर ,
दरख्तों के जवां हौसले बुलंद होने को हैं ;
पक्षियों के गीत आँगन मे गूंजने लगे
रहत की रहस्यमय चरमराहट से खेत भी गुनगुनाते है ;
ओस का आँचल ढलका रोशनी के हजार दिए खिलखिला उठे ;
हाँ भोर हो गई : लो भोर हो गई
रास्ते मुस्कुराने लगे ,रवि ने समेट ली नर्म कोहरे की चादर ,
दरख्तों के जवां हौसले बुलंद होने को हैं ;
पक्षियों के गीत आँगन मे गूंजने लगे
रहत की रहस्यमय चरमराहट से खेत भी गुनगुनाते है ;
ओस का आँचल ढलका रोशनी के हजार दिए खिलखिला उठे ;
हाँ भोर हो गई : लो भोर हो गई