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शनिवार, 21 जनवरी 2012

दर्द और एहसास

एहसासों के जंगल में हर इंसान अकेला होता है,
दर्द कभी बोला या बताया नहीं जाता......
वह तो तनहा ही सहा जाता है..................
एहसासों के साथ सभी अकेले होते हैं.
इंसान को ढाला जाता है परवरिश के सांचे में,
एहसास ढल जाता है अनुभवों के सांचे में .
सुख हो या दुःख सांझा हो सकता है पर एक नहीं होता,
एहसास सभी को होता है पर साझा नहीं हो सकता
दुःख बांटा जाता है नाकामियों पर अफ़सोस कर.
सुख बांटा जाता है हौसलों के गीत गाकर.
 एहसासों  को शब्दों का जामा नहीं पहनाया जा सकता ,
 एहसास मूक होता है अपना होता है बांटा नहीं जा सकता
  इस जंगल में सब तनहा होते हैं सब अकेले ही होते हैं..........            

30 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

मन अहसासों की बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना,बेहतरीन
new post...वाह रे मंहगाई...

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

एहसास मूक होता है अपना होता है बांटा नहीं जा सकता

सार्थक ओर सटीक रचना...

Maheshwari kaneri ने कहा…

अहसास तो अहसास है जो सिर्फ अपना है...सार्थक ओर सटीक रचना..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्द्र अभिव्यक्ति!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

अच्छा भाव है कविता का
आभार

sangita ने कहा…

THANX.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति ..... विचारणीय पंक्तियाँ

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है संगीता !
इस जंगल में सब तनहा होते हैं सब अकेले ही होते हैं..
बिलकुल सच कहा है ! इस जंगल में सब तनहा और अकेले ही होते हैं ! बहुत अच्छा लिखा है ! आपकी कलम सदैव इतनी ही प्रखर रहे यही शुभकामना है !

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया।


सादर

sangita ने कहा…

aapka aashirvad hoga to kuchh bhi asambhav nhin hae

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ये सच है की मन के अंदर अपने सपनों में अपने एहसास में हर कोई अकेला होता है ...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

sach kaha aapne ehsaas kabhi yaatra nahi karte. bahut acchhi prastuti.

RITU BANSAL ने कहा…

'एहसास ' के बारे में अच्छा लिखा है ..
kalamdaan.blogspot.com

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति...
तनहा तनहा दुःख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगे...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ये एहसास ही हैं जो कुछ कहने पर मजबूर कर देते हैं ... सुन्दर प्रस्तुति

vidya ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति..
दर्द का एहसास सिर्फ उसको भोगने वाला करता है...इस दर्द का कोई भागीदार होता है..

Patali-The-Village ने कहा…

एहसास! सार्थक ओर सटीक रचना|

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

इंसान को ढाला जाता है परवरिश के सांचे में,
एहसास ढल जाता है अनुभवों के सांचे में .
BAHUT SUNDAR RACHANA YATHARTH KE AAS PASS ....BADHAI SWEEKAREN

sushila ने कहा…

दर्द, एहसास, वेदना ये ही संवेदना बन कर काव्य में ढलते हैं। सुंदर प्रस्तुति।

रमेश शर्मा ने कहा…

एहसासों को शब्दों का जामा नहीं पहनाया जा सकता."एहसास" की जा रही सुंदर रचना..

dinesh aggarwal ने कहा…

दर्द का अहसास सुन्दर मार्मिक,
आपकी कविता पढ़ी तो हो गया।
कृपया इसे भी पढ़े-
क्या यही गणतंत्र है

अनुपमा पाठक ने कहा…

हम सभी तत्वतः अकेले हैं!
सुन्दर रचना!

Mamta Bajpai ने कहा…

बहुत ही भाव पूर्ण रचना अहसासों से सराबोर ....आभार

shikha varshney ने कहा…

भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

दर्द ! इतना तन्हा कि अपनी आवाजें भी खो जाती हैं ...

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

सुंदर रचना ......सपरिवार सहित गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति,अच्छी रचना,..

WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

दर्द और अहसास की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
बेहतरीन रचना...

बेनामी ने कहा…

सबसे पहले हमारे ब्लॉग 'जज्बात....दिल से दिल तक' पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.........आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...........पहली ही पोस्ट दिल को छू गयी..............कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब...........आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे|

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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|

संजय भास्‍कर ने कहा…

पढ़ रहा हूँ ...समझ रहा हूँ ..सोच रहा हूँ
गहन ...मर्मस्पर्शी ...

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