- गहन वेदना त्याग तपस्या एवम अनगिनत आहुतियों पश्चात् आजादी का जन्म हुआ,,
- जयघोष का आल्हादित और प्रफुल्लित नारों से आसमान गूंज उठा ,
- आज उम्र है पैंसठ की और गाथा क्या कहूँ,
- अनुभवों की झुर्रियों में छिपी है छले जाने की पीड़ा,
- रोज सुबह का सूरज मेरे सोये मन में नई आशा जगा जाता है ,
- पंछी के कलरव गीत नए बन जाते हैं ,पर .......
-
- भूखा बचपन, बिकती कन्या ,और सिसकती तरुणाई है ,
- ये कैसी है नई सुबह, और ये कैसी संचार है :::::::::
-
- वर्तमान के विकट स्वरूप में दुराचार की आंधी है,,
- शास्वत मूल्यों की तिलांजलि है , नेताओं की चांदी है:::::::::
-