बीते लम्हों को याद कर फिर मुस्कुराने की कोशिश कर रही हूँ ,
कि अपने दामन में फिर सितारे समेटने की कोशिश कर रही हूँ ,
किसी अपने के खो जाने से यह दुनिया नहीं रुका करती है ,
यही अपने दिल को समझाने की कोशिश कर रही हूँ ,
घर के तमाम कोनों में बिखरा पड़ा है वजूद उसका ,
फिर भी जाने कहाँ-कहाँ ढूंढने की कोशिश किये जा रही हूँ ,
हर रहगुजर ,हर मोड़ पर मानो मुस्कुराता हुआ मिल जाएगा वो ,
बार-बार उसे पुकारती गुजरती जा रही हूँ ,
माँ की आँख का तारा था वो मेरे सूत से बंधा था वो ,
बीते लम्हों को याद कर फिर मुस्कुराने की कोशिश कर रही हूँ ,
कि अपने दामन में फिर सितारे समेटने की कोशिश कर रही हूँ ,
कि अपने दामन में फिर सितारे समेटने की कोशिश कर रही हूँ ,
किसी अपने के खो जाने से यह दुनिया नहीं रुका करती है ,
यही अपने दिल को समझाने की कोशिश कर रही हूँ ,
घर के तमाम कोनों में बिखरा पड़ा है वजूद उसका ,
फिर भी जाने कहाँ-कहाँ ढूंढने की कोशिश किये जा रही हूँ ,
हर रहगुजर ,हर मोड़ पर मानो मुस्कुराता हुआ मिल जाएगा वो ,
बार-बार उसे पुकारती गुजरती जा रही हूँ ,
माँ की आँख का तारा था वो मेरे सूत से बंधा था वो ,
जाने कैसे गाँठ खुल गई कि आज तक नहीं समझ पा रही हूँ में,
बीते लम्हों को याद कर फिर मुस्कुराने की कोशिश कर रही हूँ ,
कि अपने दामन में फिर सितारे समेटने की कोशिश कर रही हूँ ,