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शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

अस्मिता

मुझसे मायने हर रिश्ते के ,
और मैं किसी की कुछ भी नहीं .......
प्रार्थनाएं, वंदन करती रही ,
मान्यतायें रिवाजों की मैं निभाती रही,
बाबुल का अभिमान बन कर्म की बेदी सजाती रही ..
डोर से रक्षा की आस में नमन सदा किया मैंने ,
वीर को दे दान स्नेह का मैं अकिंचन कुछ भी नहीं...
रहे सदा सुखी सम्पन्न चाँद से अनुग्रह मेरा,
प्रीत की राह में स्नेह दीप सी जलती रही ........
नई आशाओं के उपवन का सृजन सदा रहा अभिप्राय मेरा
इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,
जीवन की चम्पई साँझ में मलिन हो रहा मेरा दर्पण .
मुझसे मायने हर रिश्ते के और में किसी की कुछ भी नहीं...........

         

26 टिप्‍पणियां:

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

आस पास घट रही घटनाओं से सच में मन व्यथित होता है...व्यथा को शब्दों में उतारने का सार्थक प्रयास|

vidya ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रचना संगीता जी...
ईश्वर न करे किसी को भी ऐसे अनुभवों से गुज़रना पड़े..
सादर.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

हृदयस्पर्शी भाव......

Vandana Ramasingh ने कहा…

मर्मस्पर्शी रचना

Sadhana Vaid ने कहा…

मन को झकझोरती और बहुत कुछ सोचने पर विवश करती एक अत्यंत सशक्त प्रस्तुति संगीता ! आपकी लेखनी को सलाम !

बेनामी ने कहा…

मार्मिक पोस्ट....किन्तु सत्य.....बहुत सुन्दर पोस्ट|

Maheshwari kaneri ने कहा…

सत्य को उजागर करती..मार्मिक पोस्ट...

Udan Tashtari ने कहा…

मार्मिक

हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग ने कहा…

Behtarin rachna.

डा श्याम गुप्त ने कहा…

मुझसे मायने हर रिश्ते के ,
और मैं किसी की कुछ भी नहीं ....... vaah! क्या बात है...जवाब नहीं...सुन्दर ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा आपने,बढ़िया मार्मिक प्रस्तुति...

NEW POST.... बोतल का दूध...

sangita ने कहा…

Thanx to all of you.

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,waah....bahut achcha.

avanti singh ने कहा…

मार्मिक किन्तु सत्य लिखा आपने.....बहुत सुन्दर पोस्ट|

Kunwar Kusumesh ने कहा…

क्या बात है...जवाब नहीं

संध्या शर्मा ने कहा…

मुझसे मायने हर रिश्ते के और में किसी की कुछ भी नहीं...........
सोचने पर विवश करता है यह सवाल... आखिर क्यों है ऐसा...?
गहन अभिव्यक्ति...

Minakshi Pant ने कहा…

दर्द को परिभाषित करती खूबसूरत रचना बहुत सुन्दर शब्दों का संयोजन | सुन्दर रचना |

kshama ने कहा…

इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,
जीवन की चम्पई साँझ में मलिन हो रहा मेरा दर्पण .
मुझसे मायने हर रिश्ते के और में किसी की कुछ भी नहीं...........
Aah! Aisa kyon hota hai?

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,
जीवन की चम्पई साँझ में मलिन हो रहा मेरा दर्पण .
मुझसे मायने हर रिश्ते के और में किसी की कुछ भी नहीं..
आदरणीया संगीता जी मूल भाव बहुत सुन्दर ...नारी की ये दशा काश न हो..उसे जागना होगा सब कुछ अच्छा करते हुए भी अपने लिए कुछ भी नहीं ये हटाना होगा -समाज में प्यार भरपूर स्नेह सम्मान उसे मिलें सब को सोचना होगा ..
यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवताः ...
जय श्री राधे
भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण

रचना दीक्षित ने कहा…

सत्य को उजागर करती और मन को झकझोरती बहुत कुछ सोचने पर विवश करती मार्मिक प्रस्तुति.

बधाई.

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,
जीवन की चम्पई साँझ में मलिन हो रहा मेरा दर्पण .
मुझसे मायने हर रिश्ते के और में किसी की कुछ भी नहीं...

यही नियति है, यही जीवन है....!!
भावमयी रचना।

प्रेम सरोवर ने कहा…

समय के साथ संवाद करती हुई आपकी यह प्रस्तुति बहुत ही अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "भीष्म साहनी" पर आपका बेशब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

prerna argal ने कहा…

bahut achchi rachanaa .bahut badhaai aapko .

आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली का (३०) मैं शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आपका स्नेह और आशीर्वाद इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है
http://hbfint.blogspot.in/2012/02/30-sun-spirit.html

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,
bahut hi marmik rachana ....sangita ji badhai sweekaren.

dinesh aggarwal ने कहा…

मुझसे मायने हर रिश्ते के ओर मैं किसी की कुछ भी नहीं
बहुत सही बात...
सुन्दर रचना...बधाई.....
नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)

pinki vaid ने कहा…

satya vachan

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