पृष्ठ

कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

सुकून

ऐ मौत तेरी वादियाँ इतनी सुखन क्यूँ हैं ?
            न तरन्नुम है न तबस्सुम है कोई
कितना सुकून है तेरी वादियों में ,
            न शोर न सरगोशी है कोई 
           न तड़प न बैचेनी है कोई ,
ऐ मौत तेरी वादियों में इतना आराम क्यों है ?
           किसी रिश्ते के टूटने का गम नहीं 
          किसी हमदम के छूटने का गम नहीं ,
सिर्फ खामोशी है हर एहसास से परे ..........
ऐ मौत तेरी वादियाँ इतनी हसीं हैं क्यूँ?
          किसी आशियाने के लुटने का  गम नहीं ,
          न लरजती आँखों के सपने टूटने का डर...
न शिकवा है न शिकायत नसीब से है ,
ऐ मौत तेरी वादियाँ इतनी दिलकश हैं क्यूँ ?
         न हकीकत न अफसानों से उलझने की परवाह है,
         न मुहब्बत की आरजू न महबूब के बिछड़ने का अफ़सोस है...
तुझसे यारी मेरी चाहत बन गई है ,इस चाहत में इतनी कशिश क्यूँ है ...................
    
 

25 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह संगीता जी,बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना......
welcome to new post--जिन्दगीं--

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

न शिकवा है न शिकायत नसीब से है ,
ऐ मौत तेरी वादियाँ इतनी दिलकश हैं क्यूँ ?
न हकीकत न अफसानों से उलझने की परवाह है,
न मुहब्बत की आरजू न महबूब के बिछड़ने का अफ़सोस है...
तुझसे यारी मेरी चाहत बन गई है ,इस चाहत में इतनी कशिश क्यूँ है ...................
vah bahut hi gmabhir aur prernadayee rachana hai ..... abhar.

dinesh aggarwal ने कहा…

मौत का इतनी खूबसूरत प्रस्तुति पहले कहीं नहीं देखी,
सुन्दर अति सुन्दर।

ASHOK BIRLA ने कहा…

ऐ मौत तेरी वादियाँ इतनी सुखन क्यूँ हैं ?
लगता है सबसे सच्चा सच यही है ! और इस सच्चाई को बड़े सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है आपने !! सारी जिंदगी मैंने से मिलने मौत की तेयारी में गुजार दी वो आई ..और जिंदगी ने साथ छोड़ दिया.....

सार्थक दर्शन

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

न हकीकत न अफसानों से उलझने की परवाह है,
न मुहब्बत की आरजू न महबूब के बिछड़ने का अफ़सोस है...
तुझसे यारी मेरी चाहत बन गई है ,इस चाहत में इतनी कशिश क्यूँ है.

वाह!!! इस रचना के लिए जितने 'वाह' बोलें जाएँ कम ही पड़ेंगे...

रमेश शर्मा ने कहा…

नए साल में आपको **

खुशियों की सौगात मिलें **

सुख से महके सारा जीवन **

समृद्धि के दीप जलें **

नए साल की शुभकामनाएं

कौशल किशोर ने कहा…

सुन्दर भाव ..............अच्छी पंक्तियाँ .....
नव वर्ष में खूब लिखें इसी के साथ आपको शुभकामनायें ....
मेरा ब्लॉग पढने और जुड़ने के लिए क्लिक करें.
http://dilkikashmakash.blogspot.com/

कविता रावत ने कहा…

Mouth jeene ka sahur sikhata hai hamen..
bahut hi badiya manobhavon ki prastuti..
Nav varsh mangalmay ho aapka yahi shubhkamna hai..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सशक्त अभिव्यक्ति!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

न शिकवा है न शिकायत नसीब से है ,
ऐ मौत तेरी वादियाँ इतनी दिलकश हैं क्यूँ ?

गजब की पंक्तियाँ हैं।


सादर

kanu..... ने कहा…

bahut sundar kavita...mout ko samjhne ka bhi apna maza hai....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति,मन की भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति ......
WELCOME to--जिन्दगीं--

Sadhana Vaid ने कहा…

मौत को इतना दिलकश बना दिया है अपनी रचना में संगीता कि अब तो यह एक अजीज़ सहेली सी लगने लगी है जिससे मिलने के लिये दिल सदा बेकरार रहता है ! बहुत ही सुन्दर रचना ! बधाई

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

mumkin hai maut ka safar sabse suhana hota ho, jahan na koi dar na koi dard. sundar rachna, badhai.

Sunil Kumar ने कहा…

किसी रिश्ते के टूटने का गम नहीं
किसी हमदम के छूटने का गम नहीं ,
सिर्फ खामोशी है हर एहसास से परे ..
ऐ मौत तेरी वादियाँ इतनी हसीं हैं क्यूँ?
जबस्दस्त बधाई .......

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

yahi jindgi ka sabase bada saty hai....lekin sabhi ise bhulaye rahte hain.

Unknown ने कहा…

bada hi complex structure hai jindgi. aapne samajhne ki koshish kee sundar rachna ke madhyam se badhai

Mamta Bajpai ने कहा…

यही.... यही .. जीवन का बिराम है ............||||||

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

Nice poem.

मुहब्बत में घायल वो भी है और मैं भी हूँ,
वस्ल के लिए पागल वो भी है और मैं भी हूँ,
तोड़ तो सकते हैं सारी बंदिशें ज़माने की,
लेकिन घर की इज्जत वो भी है और मैं भी हूँ,

kumar zahid ने कहा…

Behad khoobsoorat kalaam...sanzeeda khyaal

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

क्या अभिव्यक्ति है...वाह!

vidya ने कहा…

वाह...
बढ़िया अभिव्यक्ति...

डा श्याम गुप्त ने कहा…

---सुन्दर अभिव्यक्ति....क्योंकि...
निर्भय स्वागत करो म्रत्यु का
म्रत्यु एक है वि्श्राम स्थल ।
जीव यहां से फ़िर चलता है,
धारण कर नव जीवन संबल ॥

Urmi ने कहा…

सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!

संजय भास्‍कर ने कहा…

सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

एक टिप्पणी भेजें