"वो ख्वाब था जो बिखर गया यूँ" उस शाम न जाने कितनी माओं के ख्वाब टूट गये, जो घर पर बेटों का इन्तजार करतीं रहीं, उस शाम जवानों का जोश रास्तों पर लहू बन बह रहा था.
आखिर क्यों हर भीषण तबाही के बाद ही सजग होने की कोशिश की जाती है? सिद्ध हो गया की हम देश से पहले हैं. नहीं तो सीमा पर सजग रहने वाले सिपाही भी दुश्मन को पहचान नहीं पाए यह तो नहीं होना चाहिए.....कोई तो बात रही होगी जो मछुआरों के जानकारी देने के बाद भी हमारे प्रहरी आने वाली उस विभीषिका की पदचाप भी न सुन सके जिसकी गूँज न जाने कितनी सदियों सुनाई देगी.....
आखिर क्यों हर भीषण तबाही के बाद ही सजग होने की कोशिश की जाती है? सिद्ध हो गया की हम देश से पहले हैं. नहीं तो सीमा पर सजग रहने वाले सिपाही भी दुश्मन को पहचान नहीं पाए यह तो नहीं होना चाहिए.....कोई तो बात रही होगी जो मछुआरों के जानकारी देने के बाद भी हमारे प्रहरी आने वाली उस विभीषिका की पदचाप भी न सुन सके जिसकी गूँज न जाने कितनी सदियों सुनाई देगी.....
4 टिप्पणियां:
सच में संगीताजी.... वो दिन पूरे देश के लिए दुखद घटना है......
विनम्र श्रद्धांजलि.....
सार्थक चिंतन करती संवेदनशील पोस्ट
संवेदनशील पोस्ट
सच में वो एक एक पल भरी और दुखद था |
संगीता जी आपका मेरे ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.com
pliz join my blog
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