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शनिवार, 10 दिसंबर 2011

जूनून

हर बला से नजरें मिलाने का हौसला रखते हैं ,
हम तो कयामत तक साथ निभाने का जिगर रखते हैं,,
मुझे न देख अपने जिगर को रख थाम  कर ;
हम तो हद से गुजर जाने का हौसला रखते हैं,
दोस्तों से तो दोस्ती निभाई ही जाती है;हम तो 
रकीबों का भी इन्कलाब रहे बुलंद ये दुआ करते हैं ,
आसमान के सितारों को कभी गिनना नहीं आया हमें ;मगर 
समंदर की लहरों को हर रोज गिना करते हैं .......
फाकों की चिताओं पर इंसान न जले कोई ,
सीने में दोजख के अंगारों को  दहकता  हुआ रखते हैं ,
कई ख़्वाब बुन रक्खे हैं हमने कल के वास्ते,
सगीनों के दौर में भी उन्हें रंगने का हुनर रखते हैं ..
हम वो नहीं जो बेकसी से तबाही के मंजरों से गुजर जाएँ ,
हम तो तीरगी के दामन पर भी इश्क की इबारत लिख जाएँ वो अदा रखते हैं...
औकात में रह तेवर न दिखा हमको ,हम तो सरहदों पर शामें बसर करते हैं,,
कच्छ -ओ-लाहौर तोहफे में दे दिया है तुझे ,लेकिन अब खैरात में कश्मीर न मांग ,
जिद्द पर गर आ जाएँ तो लाहौर में तिरंगा फहराने का जिगर भी रखते हैं.......



      

15 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

खूब ... बेहतरीन पंक्तियाँ रची हैं.....

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

वाह!बहुत सुन्दर...जोश से परिपूर्ण कविता|

Sadhana Vaid ने कहा…

आसमान के सितारों को कभी गिनना नहीं आया हमें ;मगर
समंदर की लहरों को हर रोज गिना करते हैं .......

बहुत सुन्दर संगीता ! आज की रचना ने दिल मोह लिया ! किस किस पंक्ति की बात करूँ हर लाइन बेमिसाल है ! ऐसे जिगर वालों की आज भारत को बहुत ज़रूरत है ! बहुत बढ़िया !

Rakesh Kumar ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत और प्रेरक प्रस्तुति है आपकी.
संगीता के संगीत के साथ साथ देश प्रेम की ज्वाला भडकाने
में कामयाब.
बहुत बहुत आभार.

समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

Always Unlucky ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना पढ़कर एक और ग़ज़ल याद आ गयी है,
मेरी नहीं है किसकी है वो भी पता नहीं,

हमें गाफिल न जानो हम तुफानो का पता रखते है ,
मचलती हुयी नदी के अरमानो का पता रखते है.
किस किस ने छुपा रखी है हाथों में तलवार
दोस्त दुश्मन ओर यलगारो का पता रखते है ,

From Computer Addict

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

wah kya baat hai....dekh kitna josh baajue kaatil me hai.....line yaad aa gayi. bahut bahut umda, joshila lekhan hai aapka.

antarjal par lakhon bloggers hain...sab ko janNa aur padhna asambhav hai aaj aap mere blog par aaye aur aap tak aane ka rasta mujhe mila. apko padh kar apke blog tak aana sarthak ho gaya.

aabhar.

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपकी प्रस्तुति.बहुत ही खूबसूरत और प्रेरक है।
समय मिलने पर मेरे पोस्ट "साहिर लुधियानवी" पर आईयेगा । धन्यवाद ।

Deepak Shukla ने कहा…

Sangeeta ji...

Junoon dekha hai humne jo tere ashron main..
Yahi tevar agarche aa gaye hum-vatanon main....
Pak to kya fatah karenge sari duniya ko...
Vohi duniya jo ab to na rahi hai apnon main...

Aaj pratham baar aapke blog par aaya hun...aur yahan aana sarthak hua...aage bhi aata rahun eske liye abhi aapke blog ka anusaran karne ja raha hun....

Shubhkamnaon sahit..

Deepak Shukla..
www.deepakjyoti.blogsppot.com

amrendra "amar" ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

Maheshwari kaneri ने कहा…

खूबसूरत और प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.

Sunil Kumar ने कहा…

इतनी भी जिद अच्छी नहीं :):)

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

.


आदरणीया संगीता जी
सस्नेहाभिवादन !

हम वो नहीं
जो बेकसी से तबाही के मंजरों से गुजर जाएँ ,

हम तो तीरगी के दामन पर भी इश्क की इबारत लिख जाएँ
वो अदा रखते हैं...



बहुत ख़ूब ! दमदार रचना !

बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुंदर रचना बढ़िया पोस्ट ,,,,,

avanti singh ने कहा…

waah waah waah ,bahut hi umda likha aap ne .....achcha lga aap ke blog par aakar, itna achcha likhne ke liye bdhaai....:):)

रमेश शर्मा ने कहा…

जिद्द पर गर आ जाएँ तो लाहौर में तिरंगा फहराने का जिगर भी रखते हैं.bold kavita ko salam.

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