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शुक्रवार, 11 मई 2012

माँ

                         माँ तुझे सलाम
१ ).  शरद  सी  शुभ   चंद्रिका    शुभ्र  ज्योत्त्सना   ममतामयी::::::::::::
निरभ्र   व्योम   सी   शांत   ,हे   माँ   सदा  ही  पूजानीय :::::::::::
पुष्प   के  पराग  सी   सूर्य   की   उजास   सी ::::::::::::::::::::
चित्रकार   की   तूलिका   सी    नित   नव   कल्पनामयी :::::::::::::::
देवत्त्व   भी    आराधन    करें   दानवों    की    श्रद्धामयी ::::::
 हे   "माँ "    सदा   ही    वन्दनीय    तू   "माँ  " सदा   ही    पूजनीय :::


                                         (२ )  


  अब भी संजोये  रक्खे  हैं मैंने हथेली पर वे लम्हें;
  जब उंगली थामें तुम मेरे क़दमों के साथ चला करतीं थीं ::::::
  मेरे आंसुओं के छंद तुम्हारी हंसी की सरगम में ढल जाया करते थे:: मेरे सपनों की ताल पर तुम अपनी जिन्दगी की सूरत बदल लिया  करतीं थीं :::::::::
कई बार झटके हैं  हाथ मैने ,फिर भी सलामत रक्खे हैं वे लम्हें::::::::::::::::::::::
मुझमें कई बार अपना बचपन तलाशते पाया है तुम्हें :::::::::::::::::::::
अपना वजूद खुद में समेटे हमारी दुनिया के आँगन में::::::::::::::::::::
भुला कर सभी सपने अपने खो जातीं हमारे जीवन उत्सव में:::::::::::::;;;
मेरे हौसलों की उड़ानों में ,मेरी जिन्दगी  की हर लय में :::::
मेरे जीवन के गुजरते सारे आरोहों-अवरोहों के ::::::::::::::::::::::::::
तुम्हारे पूजन ,अर्चन  की ही छाया  तले   हँसते हुए  लम्हें :::::::::::
तन्हाइयों  में भी कभी तनहा होने देते नहीं :::::::::::;;; 
तुम्हारी ममता की खुशबू से सराबोर लम्हें  ::::::::::::::::;;
सदा ही सहेजे रक्खेंगे हम प्यार में भीगे ये  अमोल लम्हें::::::::::::::::::::
 
 


    

23 टिप्‍पणियां:

Maheshwari kaneri ने कहा…

माँ तुझे सलाम ........बहुत सुन्दर..संगीता जी..

Anupama Tripathi ने कहा…

तुम्हारी ममता की खुशबू से सराबोर लम्हें ::::::::::::::::;;
सदा ही सहेजे रक्खेंगे हम प्यार में भीगे ये अमोल लम्हें::::::::::::::::::::

sarthak abhivyakti ..
shubhkamnayen ...!!

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

रश्मि प्रभा... ने कहा…

माँ तुझे सलाम

रविकर ने कहा…

खूबसूरत प्रस्तुति ||

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

माँ को नमन...सुंदर शब्दों से पिरोई गई कविता.

विभूति" ने कहा…

माँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती आपकी खुबसूरत रचना....माँ तो सिर्फ माँ होती है...... .माँ तुझे सलाम...

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

maa to aakhir maa hai..............sara ziwan arpn kar bhi uske karz ko nahi utara ja sakta hai.........

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर..... हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ

संजय भास्‍कर ने कहा…

इतने सारे खूबसूरत एहसास एक साथ भावप्रणव रचना!
ममतामयी माँ को नमन!!..

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत सुन्दर संगीता ! 'माँ' नाम का एक यह शब्द ही अद्भुत है जो चिर प्राणवान है और सदैव हमारे हृदय में, हमारी स्मृतियों में हमारी अनुभूतियों में दिल बन कर धड़कता रहता है ! 'सुधीनामा' पर आपकी प्रतीक्षा है !

संध्या शर्मा ने कहा…

ममता की खुशबू से महकती सुन्दर रचना... आभार

Shanti Garg ने कहा…

बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

avanti singh ने कहा…

वाह! बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना है,बधाई आप को

बेनामी ने कहा…

umda ,bahut hi umda!

pinki vaid ने कहा…

sangita bht acha likha........dil ko sparsh kar ti hae

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार १५ /५/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |

alka mishra ने कहा…

अगर इस दुनिया में माँ न होती तो ये दुनिया बड़ी बदसूरत होती

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर...
शानदार प्रस्तुति.....
happy mother's day:-)

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" ने कहा…

sunder prastuti..sadar badhayee aaur amant

babanpandey ने कहा…

माँ को परिभाषित करना ... संभव नहीं ...सुंदर पोस्ट

कविता रावत ने कहा…

ममता की खुशबू से महकती सुन्दर प्रस्तुति.....
.. आभार

Saras ने कहा…

कभी कभी लगता है इश्वर का विराट रूप ही 'माँ 'है ....बहुत सुन्दर!!!!!

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