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बुधवार, 25 अप्रैल 2012

आदत तन्हाई की

अब नहीं बर्दाश्त कोई खलल मुझे ,की अब तनहाइयों की आदत हो गई है.;
गुलों की नरमी से भी परहेज है मुझको ,काँटों की चुभन की आदत हो चली है.
तकदीर के आगे अब पेश नहीं होना है मुझे ;जिंदगी ने तदबीरों से दोस्ती जो कर ली है .....
साहिल पर आकर पलटते देखा हैं सकीना हरदम;छोड़ दिया साहिल ही मैने;
मझधारों की लहरों के साथ चलते-चलते ;हिचकोलों से मोहब्बत हो चली है....
कोई साथ अब यकीं नहीं दिला सकता मुझे ;रातों को ख़्वाबों से किनारा कर दिया मैने;
बेमानी रिश्तों से  महरूम होने की शिकायत ही नहीं है मुझे ;
अजनबी राहों से मोहब्बत हो गई है मुझे......... 
तबस्सुम के भेस में अश्कों के कारवां को सहेजे अंजुमन संवारते रहे हैं ;
कि रात , टूटे हुए सितारों से दामन सजाने का हुनर सिखा गई है मुझे   

30 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

तकदीर के आगे अब पेश नहीं होना है मुझे ;जिंदगी ने तदबीरों से दोस्ती जो कर ली है .....

....बहुत सुंदर रचना..

Saras ने कहा…

अब नहीं बर्दाश्त कोई खलल मुझे ,की अब तनहाइयों की आदत हो गई है.;
गुलों की नरमी से भी परहेज है मुझको ,काँटों की चुभन की आदत हो चली है.

बहुत सुन्दर संगीताजी

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

बढ़िया !!!

विभूति" ने कहा…

tanhaayi hi to hai..... kuch to sikha hi jayigi....

बेनामी ने कहा…

वाह बेहद खूबसूरत.....तन्हाई से दोस्ती कर ली ।

सदा ने कहा…

अब नहीं बर्दाश्त कोई खलल मुझे ,की अब तनहाइयों की आदत हो गई है.;
गुलों की नरमी से भी परहेज है मुझको ,काँटों की चुभन की आदत हो चली है.
ये तनहाईयों की आदत भी ... जाने कहां से कहां ले जाती है ...बहुत खूब ।

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

साहिल पर आकर पलटते देखा हैं सकीना हरदम;छोड़ दिया साहिल ही मैने;
मझधारों की लहरों के साथ चलते-चलते ;हिचकोलों से मोहब्बत हो चली है....

waah.......
बहुत सुंदर संगीता जी.

Aruna Kapoor ने कहा…

अब नहीं बर्दाश्त कोई खलल मुझे ,की अब तनहाइयों की आदत हो गई है.
....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

बेनामी ने कहा…

कि रात , टूटे हुए सितारों से दामन सजाने का हुनर सिखा गई है मुझे

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर भानप्रणव रचना!

lamhe ने कहा…

tanhai se dosti yani khud se dosti ab kuch bhi aapko reeta ahin kar sakega jo aap khud ke hi meet ban gaye badhayee ho

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

बेमानी रिश्तों से महरूम होने की शिकायत ही नहीं है मुझे ;
अजनबी राहों से मोहब्बत हो गई है मुझे.........
behtareen.. main isko apne fb status pe use kar lun:))

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

रात , टूटे हुए सितारों से दामन सजाने का हुनर सिखा गई है मुझे

वाह !!!!! सुंदर भाव.


http://mitanigoth2.blogspot.in/2012/04/blog-post_25.html

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

तबस्सुम के भेस में अश्कों के कारवां को सहेजे अंजुमन संवारते रहे हैं ;
कि रात , टूटे हुए सितारों से दामन सजाने का हुनर सिखा गई है मुझे

वाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,..प्रभावी रचना,..

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....

Prashant Suhano ने कहा…

सचमुच अब तनहाइयों की आदत सी हो गई है..

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर ...गहरी अभिव्यक्ति....

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

क्या बात है!! बहुत सुन्दर
इसे भी देखें-
फेरकर चल दिये मुँह, था वो बेख़ता यारों!
आईना अब भी देखता है रास्ता यारों!!

Sadhana Vaid ने कहा…

तबस्सुम के भेस में अश्कों के कारवां को सहेजे अंजुमन संवारते रहे हैं ;
कि रात , टूटे हुए सितारों से दामन सजाने का हुनर सिखा गई है मुझे

बहुत बढ़िया संगीता ! हर लफ्ज़ में टीस है और हर टीस में ज़िंदगी से टक्कर लेने का हौसला भी है ! बहुत प्यारी रचना है ! बहुत बहुत बधाई !

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

bahut acchha likha hai...prastuti thodi behtar hoti to aur prabhavshali lagta.

vikram7 ने कहा…

गहरी अभिव्यक्ति

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपने अपनी बातों को जिस तरह भी प्रस्तुत किया है उसे मैं तरजीह देता हूँ । धन्यवाद ।

डा श्याम गुप्त ने कहा…

---सुन्दर नज़्म...प्रभावपूर्ण भाव व अच्छी भावाव्यक्ति...

---सही कहा अनामिका जी... कुछ वर्तनी ..कुछ काव्यमय लेखन-कला से प्रस्तुतिकरण और अच्छा हो सकता है..

आशा बिष्ट ने कहा…

waah bahut khoob sangeeta ji pahli baar aapke blog par aana hua
bahut khubsurati se shbd diye hain ahsason ko....sadar..

sushila ने कहा…

"तबस्सुम के भेस में अश्कों के कारवां को सहेजे अंजुमन संवारते रहे हैं ;
कि रात, टूटे हुए सितारों से दामन सजाने का हुनर सिखा गई है मुझे"
वाह और सिर्फ़ वाह ! बहुत ही सुंदर भाव और शब्दों का चयन ! बधाई !

Rakesh Kumar ने कहा…

वाह! बहुत सुन्दर.
आपकी गहन भावाभिव्यक्ति
ने भावविभोर कर दिया है.

समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.

Rajesh Kumari ने कहा…

बहुत सुन्दर दिल की गहराइयों से निकली हुई भावाभिव्यक्ति

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत बढ़िया प्रस्तुति,बेहतरीन सुंदर रचना,.....

MY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

Sunil Kumar ने कहा…

गहन भावाभिव्यक्ति.......

mridula pradhan ने कहा…

bahut sunder......

दिगम्बर नासवा ने कहा…

तन्हाई की आदत हो जाए तो जीवन जीने की कला आ जाती है ....

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