आज भी याद आतें हैं बहुत सब ,जब भी सपनों में माँ मुस्कुराती है.............
उससे बिछड़े जमाना गुजर गया है ये सच है ,पर
जिंदगी की क़द्र, निभाना रवाजों का,भूली सी कुछ रवायतें ,सहलाना जज्बातों को ,
आज भी वो सपनों में आती है सिखा जाती है ......................
हर मोड़ पर हमें बहारों से मिलवाना उसका ,
हमारा हर बात पर रूठना,और मनाना उसका ,
आज भी कुहासे में हर गूँज उसे ही पुकारती है ,
सुनते ही वो सपनों में आती है सहला जाती है,
आज भी सपनों में माँ आती मुस्कुराती है..................
मसरूफियत हमारी तन्हा रह जाना उसका ,
दर्द की हर रात से मुस्कुराकर गुजर जाना उसका ,
गर्द और काँटों को हमारी राहों से बुहारना उसका,
रातों की परेशानियों को लोरियों से बहलाना उसका,अपने दामन में छिपा वीराने ,गुलिस्तान सजाना उसका,
आज भी याद हैं वो गुनगुनाते नगमें ,आज भी ख्वाबो में माँ मुस्कुराती है.
मेरे हर बोल में तू है माँ ,हर कहानी तुझसे है,
मेरे हर साज पर गुनगुनाते गीत तुझसे हैं
मेरी बहारों की हर रवानी तुझसे है ,
वक्त का तूफान का हमसे निगाहें चुराकर गुजर जाता है आज भी ;
तुझसे बिछड़े जमाना गुजर गया लेकिन आज भी सजदों म़े माँ नजर आती है ,
42 टिप्पणियां:
sach maa ki mahima nirali hai .man ko chho gayi aapki rachna .aabhar
तुझसे बिछड़े जमाना गुजर गया लेकिन आज भी सजदों म़े माँ नजर आती है ,
.....बहुत सच...माँ का प्रेम अतुलनीय है..
मर्म हृदय छू गया!
yadi aap mere dwara sampadit kavy sangrah mein shamil hona chahte hain to sampark karen
rasprabha@gmail.com
तुझसे बिछड़े जमाना गुजर गया लेकिन आज भी सजदों म़े माँ नजर आती है ,... kyonki maa to dil hoti hai
दर्द की हर रात से मुस्कुराकर गुजर जाना उसका ,
गर्द और काँटों को हमारी राहों से बुहारना उसका,
रातों की परेशानियों को लोरियों से बहलाना उसका,
अपने दामन में छिपा वीराने ,गुलिस्तान सजाना उसका,
आज भी याद हैं वो गुनगुनाते नगमें ,आज भी ख्वाबो में माँ मुस्कुराती है.
APKI YE PANKTIYAN TO MUJHE BAHUT PRABHAVIT KR GYEEN ....SADAR ABHAR SANGEETA JI.
वक्त का तूफान का हमसे निगाहें चुराकर गुजर जाता है आज भी ;
तुझसे बिछड़े जमाना गुजर गया लेकिन आज भी सजदों म़े माँ नजर आती है
बहुत सुंदर प्रस्तुति । Welcome to my New Post.
वक्त का तूफान का हमसे निगाहें चुराकर गुजर जाता है आज भी ;
तुझसे बिछड़े जमाना गुजर गया लेकिन आज भी सजदों म़े माँ नजर आती है ,
माँ नाम ही काफी है...... सारे रिश्तों में सबसे बड़ा रिश्ता..... बहुत भावपूर्ण रचना.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 27-02-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
माँ तुझे प्रणाम ।।
Bahut achhi abhivyakti...ma ke aanchal se surakshit Jagah mujhe abhi bhi Kanin aur nahi mila...aur uski soorat se na to slag hi Bhagwan ki soorat...anmol Bol aapke..aabhar prakat karta Hun.
ये तो है, मां ही हर वक्त याद आती है.
संगीता जी,...
माँ की ममता का कोई पर्याय हो नही सकता
पूरी दुनिया में माँ तेरे जैसा कोई हो नही सकता...
अति उत्तम,सराहनीय प्रस्तुति,सुंदर रचना.....के लिए बधाई
NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
इस दुनिया विच जिनने रिश्ते
झूठे ते बहुरूप
माँ दा रिश्ता सब ते ऊँचा
माँ है रब दा रूप...
बहुत बहुत बहुत सुन्दर लिखा है संगीता ! शब्द कम पड़ रहे हैं इस रचना की तारीफ़ के लिये ! माँ के प्यार और उससे जुड़ाव को सम्पूर्ण अभिव्यक्ति देना और उसे समझ भी लेना नितांत असंभव सा लगता है पर लगता है आज तुमने उस असंभव को संभव कर दिया है ! बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना ! आभार !
maa ka arth ma se dur hokar adhik samajh me aata hai
माँ बस माँ होती है ॥हर पल साथ ॥ सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर लिखा है,मर्मस्पर्शी रचना, बधाई...
माँ जैसे अनमोल रिश्ते के लिए अनमोल रचना|
अद्भुत!बहुत अच्छी लगी यह रचना।
sach hai' aaj bhi sajdon main nazar aati hai maa' in abhivyakitiyon me mujhe ek aisi beti nazar aati hai jispe uski maa ko naaz hoga hi saath hi kahna chahoongi kitni anaukhi hogi is beti ki maaa jisne itna high profile thought process diya apni beti ko. aapki maa ko mera salaam.
saath hi dhanyawaad yaad dilane ka ki umra rhate kadra kar lo is amrit ki samay guzar gaya to phir na nazar ayega kuch.
loveu
हृदयस्पर्शी...... बहुत गहरे उतरते हैं आपके शब्द
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
सबसे पहले दक्ष को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें.!!
Active Life Blog
bhawbhini kavita.....
bahut achchha likha hai Sangita ji , pichhli ek kavita me aapne likha ki aur mai kisi ki kuchh bhi nahi...ab is kavita me jo maa hai to kya ham uske nakshe -kadam par nahi chal rahe ...vo baate to ek tyagmai moorti me hi ho sakti hai...par haan ye bhi sach hai haad-maans ke insan par jo jo beetati hai vo shabdo me to dhalega hi...
ati bhavpurn....
मित्रवर संगीता जी
आप से निवेदन है कि
" एक ब्लॉग सबका "
( सामूहिक ब्लॉग) से खुद भी जुड़ें और अपने मित्रों को भी जोड़ें... शुक्रिया
आप भी सादर आमंत्रित हैं,
अगर आप पसंद करें तो आप एक ब्लॉग सबका के सदस्य भी बन सकती हैं
मैं आपको आपकी भेजी हुई ईमेल ID पर ही न्योता भेजूंगा लिहाज़ा आप मुझे अपनी ID ईमेल कर दीजिये
अपनी राय से हमे अवगत कराए
eK blog.sabka *" पर अपना बहुमूल्य योगदान देने के लिए मुझे ई- मेल करे!
आपका स्वागत है...हमारा पता है 1blog.sabka@gmail.com
sawaisinghraj007@gmail.com
ब्लॉग का लिंक्स:-
" Ek Blog Sabka "
sach kaha aapne maa to hamesh maa hi hoti hain .har umra main maa ki jarurat hoti hai .aur usaki yaadain to hum sabke tan man main basi hoti hain .bahut sunder rachanaa bahut badhaai aapko.
आप का बहुत बहुत धन्यवाद की आप मेरे ब्लॉग पर पधारे और इतने अच्छे सन्देश दिए /आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को हमेशा इसी तरह मिलता रहे यही कामना है /मेरी नई पोस्ट आपकी टिप्पड़ी के इन्तजार में हैं/ जरुर पधारिये /लिंक है /
http://prernaargal.blogspot.in/2012/02/happy-holi.html
मैंने एक और कोशिश की है /अगर आपको पसंद आये तो उत्साह के लिए अपने सन्देश जरुर दीजिये /लिंक है
http://www.prernaargal.blogspot.in/2012/02/aaj-jaane-ki-zid-na-karo-sung-by-prerna.html
सच तो यह है आह भी निकलती है जहाँ ,
माँ का दिल ढाल बनकर हो खड़ा जाता वहां....."माँ " है छोटासा शब्द, लेकिन इसका विस्तार......
बहुत प्यारी रचना !!!
सुन्दर रचना संगीता जी..
मेरे ब्लॉग पर आपका आना सुखद लगा.
शुक्रिया
बहुत सार्थक प्रस्तुति, सुंदर रचना के लिए संगीता जी बधाई,...
फालोवर बन गया हूँ,आप भी बने तो मुझे खुशी होगी,
WELCOME TO MY NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
BAHUT KHUB ANUBHUTI.
तुझसे बिछड़े जमाना गुजर गया लेकिन आज भी सजदों म़े माँ नजर आती है ,
bahut sunder
बहुत भावपूर्ण रचना !
मन को छू गई ...!
आभार !
maa ke prati itne sundar bhaavon ko likhne vaali lekhni ko salaam.bahut bhaav pravan rachna.dil me utar gai.
दर्द की हर रात से मुस्कुराकर गुजर जाना उसका ,
गर्द और काँटों को हमारी राहों से बुहारना उसका,
रातों की परेशानियों को लोरियों से बहलाना उसका,
अपने दामन में छिपा वीराने ,गुलिस्तान सजाना उसका,
आज भी याद हैं वो गुनगुनाते नगमें ,आज भी ख्वाबो में माँ मुस्कुराती है.
...माँ को समर्पित मर्मस्पर्शी रचना.....सच क्या क्या नहीं करती माँ अपने बच्चों की खातिर.....अपना दुःख-दर्द भूलकर मुस्कराती रहती है बच्चों के सामने ......
mmtv kruna ka hi pryay hai aur kruna iishvrtv ka
bdhai
माँ की ममता ..? न देखा ,न महसूस कर सका !
जब से मैंने माँ को खोया
तब से ही मैं हर पल रोया
न जाने किन जुर्मों की मिली सजा
तब से न मैं चैन से सोया ||
भावुक कर दिया आप की रचना ने .....
शुभकामनाएँ!
माँ के प्रति की निसवार्थ प्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति.....
JANANI JNMA BHUMISHCH SWARGADAPI GARIYASHI
NO ONE IS BETTER AND GREATTER THAN MOTHER.
NICE LINES.THANKS.
सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको
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