दर्द कभी बोला या बताया नहीं जाता......
वह तो तनहा ही सहा जाता है..................
एहसासों के साथ सभी अकेले होते हैं.
इंसान को ढाला जाता है परवरिश के सांचे में,
एहसास ढल जाता है अनुभवों के सांचे में .
सुख हो या दुःख सांझा हो सकता है पर एक नहीं होता,
एहसास सभी को होता है पर साझा नहीं हो सकता
दुःख बांटा जाता है नाकामियों पर अफ़सोस कर.
सुख बांटा जाता है हौसलों के गीत गाकर.
एहसासों को शब्दों का जामा नहीं पहनाया जा सकता ,
दुःख बांटा जाता है नाकामियों पर अफ़सोस कर.
सुख बांटा जाता है हौसलों के गीत गाकर.
एहसासों को शब्दों का जामा नहीं पहनाया जा सकता ,
एहसास मूक होता है अपना होता है बांटा नहीं जा सकता
इस जंगल में सब तनहा होते हैं सब अकेले ही होते हैं..........
इस जंगल में सब तनहा होते हैं सब अकेले ही होते हैं..........
30 टिप्पणियां:
मन अहसासों की बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना,बेहतरीन
new post...वाह रे मंहगाई...
एहसास मूक होता है अपना होता है बांटा नहीं जा सकता
सार्थक ओर सटीक रचना...
अहसास तो अहसास है जो सिर्फ अपना है...सार्थक ओर सटीक रचना..
बहुत सुन्द्र अभिव्यक्ति!
अच्छा भाव है कविता का
आभार
THANX.
सुंदर अभिव्यक्ति ..... विचारणीय पंक्तियाँ
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है संगीता !
इस जंगल में सब तनहा होते हैं सब अकेले ही होते हैं..
बिलकुल सच कहा है ! इस जंगल में सब तनहा और अकेले ही होते हैं ! बहुत अच्छा लिखा है ! आपकी कलम सदैव इतनी ही प्रखर रहे यही शुभकामना है !
बहुत ही बढ़िया।
सादर
aapka aashirvad hoga to kuchh bhi asambhav nhin hae
ये सच है की मन के अंदर अपने सपनों में अपने एहसास में हर कोई अकेला होता है ...
sach kaha aapne ehsaas kabhi yaatra nahi karte. bahut acchhi prastuti.
'एहसास ' के बारे में अच्छा लिखा है ..
kalamdaan.blogspot.com
सुन्दर प्रस्तुति...
तनहा तनहा दुःख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगे...
ये एहसास ही हैं जो कुछ कहने पर मजबूर कर देते हैं ... सुन्दर प्रस्तुति
सुन्दर प्रस्तुति..
दर्द का एहसास सिर्फ उसको भोगने वाला करता है...इस दर्द का कोई भागीदार होता है..
एहसास! सार्थक ओर सटीक रचना|
इंसान को ढाला जाता है परवरिश के सांचे में,
एहसास ढल जाता है अनुभवों के सांचे में .
BAHUT SUNDAR RACHANA YATHARTH KE AAS PASS ....BADHAI SWEEKAREN
दर्द, एहसास, वेदना ये ही संवेदना बन कर काव्य में ढलते हैं। सुंदर प्रस्तुति।
एहसासों को शब्दों का जामा नहीं पहनाया जा सकता."एहसास" की जा रही सुंदर रचना..
दर्द का अहसास सुन्दर मार्मिक,
आपकी कविता पढ़ी तो हो गया।
कृपया इसे भी पढ़े-
क्या यही गणतंत्र है
हम सभी तत्वतः अकेले हैं!
सुन्दर रचना!
बहुत ही भाव पूर्ण रचना अहसासों से सराबोर ....आभार
भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
दर्द ! इतना तन्हा कि अपनी आवाजें भी खो जाती हैं ...
सुंदर रचना ......सपरिवार सहित गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.....
बहुत सुंदर प्रस्तुति,अच्छी रचना,..
WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
दर्द और अहसास की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
बेहतरीन रचना...
सबसे पहले हमारे ब्लॉग 'जज्बात....दिल से दिल तक' पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.........आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...........पहली ही पोस्ट दिल को छू गयी..............कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब...........आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे|
कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
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http://khaleelzibran.blogspot.com/
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
पढ़ रहा हूँ ...समझ रहा हूँ ..सोच रहा हूँ
गहन ...मर्मस्पर्शी ...
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