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शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

त्रासदी आजादी की

                                      

  • गहन वेदना त्याग तपस्या एवम अनगिनत आहुतियों पश्चात् आजादी का जन्म हुआ,, 
  • जयघोष का आल्हादित और प्रफुल्लित नारों से आसमान गूंज उठा , 
  • आज उम्र है पैंसठ की और गाथा क्या कहूँ, 
  •  अनुभवों की झुर्रियों में छिपी है छले जाने की पीड़ा,
  •      रोज सुबह का सूरज मेरे सोये मन में नई आशा जगा जाता है ,
  •      पंछी के कलरव गीत नए बन जाते हैं ,पर .......
  •  
  • भूखा बचपन, बिकती कन्या ,और सिसकती तरुणाई है  ,
  • ये कैसी है नई सुबह, और ये कैसी संचार है :::::::::
  •  
  •        वर्तमान के विकट  स्वरूप में दुराचार की आंधी है,,
  •        शास्वत मूल्यों की तिलांजलि है , नेताओं की चांदी है:::::::::
  •  

7 टिप्‍पणियां:

Suman ने कहा…

शास्वत मूल्यों की तिलांजलि है , नेताओं की चांदी है::::::::
सही कहा है शाश्वत मूल्यों के प्रति हर मनुष्य काश सजग होता,
आभार अच्छी पोस्ट ...

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर एवं सार्थक....

आभार
अनु

Kunwar Kusumesh ने कहा…

क्या बात है।

sushila ने कहा…

सुंदर और सार्थक प्रस्तुति !

Kailash Sharma ने कहा…

भूखा बचपन, बिकती कन्या ,और सिसकती तरुणाई है ,
ये कैसी है नई सुबह, और ये कैसी संचार है :::::::::

...बहुत सटीक अभिव्यक्ति..

सदा ने कहा…

सार्थकता लिये सशक्‍त लेखन ... आभार

Pallavi saxena ने कहा…

बहुत ही सार्थक एवं सशक्त अभिव्यक्ति ....

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