कैसे भूल सकती हूँ आज भी वह पल ,वह एहसास जो मेरे साथ ता-उम्र बावस्ता है,
तब तुम मेरे मन के सूने गलियारे में पहचानी सी परछाई के मानिंद चुपके से आये थे .
तुम्हारी कोमल सी पदचाप मेरे वजूद से बिंध गई और तभी मेरा प्रथम परिचय हुआ तुमसे........
हाँ मेरे अंश मेने तुम्हें तभी पहचाना था .
अपने ही चेहरे की लकीरों में तुम्हारा चेहरा तलाशती मैं,
तुम्हारी मासूम से क़दमों की हरकतों से तुम्हारी शरारतों को टटोलती ,
बेकल सी मूक हो तुम्हारी आवाज सुनाने को बेताब मैं,
हाँ मेरे अंश मैने तुम्हें तब प्रथम महसूस किया था ,
नित विविधता से तुम्हारे शुभागमन की बाट जोहती मैं,
तुम्हारी कोमल आँखों में अपनी छवि देखने को बेताब मैं ,
मन के कोरे कैनवास पर तुम्हें विविधता से उकेरती ,
अपनी कल्पनाओं से अठखेलियाँ कराती मैं ,
हाँ मेरा तुमसे सबसे पावन नाता बंधा गया और आज भी ,
मैं उसे ही तो जी रहीं हूँ ....................
तब तुम मेरे मन के सूने गलियारे में पहचानी सी परछाई के मानिंद चुपके से आये थे .
तुम्हारी कोमल सी पदचाप मेरे वजूद से बिंध गई और तभी मेरा प्रथम परिचय हुआ तुमसे........
हाँ मेरे अंश मेने तुम्हें तभी पहचाना था .
अपने ही चेहरे की लकीरों में तुम्हारा चेहरा तलाशती मैं,
तुम्हारी मासूम से क़दमों की हरकतों से तुम्हारी शरारतों को टटोलती ,
बेकल सी मूक हो तुम्हारी आवाज सुनाने को बेताब मैं,
हाँ मेरे अंश मैने तुम्हें तब प्रथम महसूस किया था ,
नित विविधता से तुम्हारे शुभागमन की बाट जोहती मैं,
तुम्हारी कोमल आँखों में अपनी छवि देखने को बेताब मैं ,
मन के कोरे कैनवास पर तुम्हें विविधता से उकेरती ,
अपनी कल्पनाओं से अठखेलियाँ कराती मैं ,
हाँ मेरा तुमसे सबसे पावन नाता बंधा गया और आज भी ,
मैं उसे ही तो जी रहीं हूँ ....................
34 टिप्पणियां:
माँ की ममता का ये खूबसूरत एहसास ...
औलाद की अनमोल निधि ...
जिससे मैं महरूम रहा ...
शुभकामनाएँ आप दोनों को !
आशीर्वाद!
बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट।
पोर-पोर में प्यार है, ममता अंश असीम ।
दर्शन तुझमे ही करूँ, अपने राम रहीम ।
उस खूबसूरत एहसास की अभिव्यक्ति भी उतनी ही खूबसूरत...
हाँ मेरा तुमसे सबसे पावन नाता बंधा गया और आज भी ,
मैं उसे ही तो जी रहीं हूँ ...........
माँ यही तो जीती है
तुम्हारी कोमल आँखों में अपनी छवि देखने को बेताब मैं ,
मन के कोरे कैनवास पर तुम्हें विविधता से उकेरती ,
अपनी कल्पनाओं से अठखेलियाँ कराती मैं ,
हाँ मेरा तुमसे सबसे पावन नाता बंधा गया और आज भी ,
मैं उसे ही तो जी रहीं हूँ ............
....Maa ke antarman se upji sundar prastuti...
नन्हे मेहमान के आने की आहट ही मां को किस कल्पना संसार में ले जाती है जहां वह घंटो अपने शिशु से बातें करती रहती है ।
Thanx.or aabhar.
सबसे निर्मल रिश्ता .....बहुत सुन्दर !
,बेहतरीन माँ के रिश्तों और अहसासों की सुंदर प्रस्तुति,.....
RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...
ye komal ehsas ek maa ke man me sada zinda rahte hain.
ममता की पुकार का जवाब भी प्यारा होगा ....शुभकामनायें आपको !
हाँ मेरा तुमसे सबसे पावन नाता बंधा गया और आज भी ,
मैं उसे ही तो जी रहीं हूँ ....................
ममता से भरी पंक्तियाँ... हमारा भी बेटा अंश ही है आपकी तरह, उसके लिए ही जीती हूँ, सारे सपने उसके लिए हैं उसके सिवा कुछ नहीं हमारे जीवन में... सुन्दर रचना ... शुभकामनायें
माँ की ममता जीवन के हर सुख दुःख में सहारा होती है .....! भावपूर्ण प्रस्तुति
Achha likha hai ek shabdateet bhav ko...
Hridaysparshi Bhav..... Bahut Sunder
Sundar Rachna aabhar aapka:-)
ममत्व भरी रचना....
शब्द -शब्द में वात्सल्य प्रेम की झलक ... मेरे भी ब्लॉग पर आये
उम्दा !!!
ममंत्व का भाव अपूर्व और पावन होता है ... इन भावों को शब्द दिये अहिं आपने ...
हर शब्द मॉं के स्नेह से भीगा हुआ ...भावमय कर गया ..
mamma ki yaad aa gai ye post padhkar....:)
माँ का ममतामयी संसार सचमुच अद्भुत है.
भावमयी प्रस्तुति.
ममत्व का अद्भुत अहसास ...बहुत सुन्दर....संगीता जी..आभार..
Aapka aabhar
हर शब्द माँ के प्रेम से सराबोर है...बहुत सुन्दर
vatsaly se bharpoor.......
वात्सल्य के अद्भुत अहसास से परिपूर्ण बहुत ही भावपूर्ण रचना है संगीता ! हर्षित का इतना प्यारा फोटो देख कर मन प्रसन्न हो गया ! मेरी अनंत शुभकामनायें स्वीकार करो !
माँ की ममता का साक्षात्कार इन पक्तिओं में छिपा है!...सुन्दर प्रस्तुति!....आभार!
हम भी कैसे भूल सकते है उन पलो को .........
बेहतरीन......
लाजवाब।
ममता का एहसास कराती बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना!
beyond words!
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