मुझसे मायने हर रिश्ते के ,
और मैं किसी की कुछ भी नहीं .......
प्रार्थनाएं, वंदन करती रही ,
मान्यतायें रिवाजों की मैं निभाती रही,
बाबुल का अभिमान बन कर्म की बेदी सजाती रही ..
डोर से रक्षा की आस में नमन सदा किया मैंने ,
वीर को दे दान स्नेह का मैं अकिंचन कुछ भी नहीं...
रहे सदा सुखी सम्पन्न चाँद से अनुग्रह मेरा,
प्रीत की राह में स्नेह दीप सी जलती रही ........
नई आशाओं के उपवन का सृजन सदा रहा अभिप्राय मेरा
इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,
जीवन की चम्पई साँझ में मलिन हो रहा मेरा दर्पण .
मुझसे मायने हर रिश्ते के और में किसी की कुछ भी नहीं...........
और मैं किसी की कुछ भी नहीं .......
प्रार्थनाएं, वंदन करती रही ,
मान्यतायें रिवाजों की मैं निभाती रही,
बाबुल का अभिमान बन कर्म की बेदी सजाती रही ..
डोर से रक्षा की आस में नमन सदा किया मैंने ,
वीर को दे दान स्नेह का मैं अकिंचन कुछ भी नहीं...
रहे सदा सुखी सम्पन्न चाँद से अनुग्रह मेरा,
प्रीत की राह में स्नेह दीप सी जलती रही ........
नई आशाओं के उपवन का सृजन सदा रहा अभिप्राय मेरा
इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,
जीवन की चम्पई साँझ में मलिन हो रहा मेरा दर्पण .
मुझसे मायने हर रिश्ते के और में किसी की कुछ भी नहीं...........
26 टिप्पणियां:
आस पास घट रही घटनाओं से सच में मन व्यथित होता है...व्यथा को शब्दों में उतारने का सार्थक प्रयास|
बहुत भावपूर्ण रचना संगीता जी...
ईश्वर न करे किसी को भी ऐसे अनुभवों से गुज़रना पड़े..
सादर.
हृदयस्पर्शी भाव......
मर्मस्पर्शी रचना
मन को झकझोरती और बहुत कुछ सोचने पर विवश करती एक अत्यंत सशक्त प्रस्तुति संगीता ! आपकी लेखनी को सलाम !
मार्मिक पोस्ट....किन्तु सत्य.....बहुत सुन्दर पोस्ट|
सत्य को उजागर करती..मार्मिक पोस्ट...
मार्मिक
Behtarin rachna.
मुझसे मायने हर रिश्ते के ,
और मैं किसी की कुछ भी नहीं ....... vaah! क्या बात है...जवाब नहीं...सुन्दर ...
बहुत अच्छा लिखा आपने,बढ़िया मार्मिक प्रस्तुति...
NEW POST.... बोतल का दूध...
Thanx to all of you.
इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,waah....bahut achcha.
मार्मिक किन्तु सत्य लिखा आपने.....बहुत सुन्दर पोस्ट|
क्या बात है...जवाब नहीं
मुझसे मायने हर रिश्ते के और में किसी की कुछ भी नहीं...........
सोचने पर विवश करता है यह सवाल... आखिर क्यों है ऐसा...?
गहन अभिव्यक्ति...
दर्द को परिभाषित करती खूबसूरत रचना बहुत सुन्दर शब्दों का संयोजन | सुन्दर रचना |
इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,
जीवन की चम्पई साँझ में मलिन हो रहा मेरा दर्पण .
मुझसे मायने हर रिश्ते के और में किसी की कुछ भी नहीं...........
Aah! Aisa kyon hota hai?
इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,
जीवन की चम्पई साँझ में मलिन हो रहा मेरा दर्पण .
मुझसे मायने हर रिश्ते के और में किसी की कुछ भी नहीं..
आदरणीया संगीता जी मूल भाव बहुत सुन्दर ...नारी की ये दशा काश न हो..उसे जागना होगा सब कुछ अच्छा करते हुए भी अपने लिए कुछ भी नहीं ये हटाना होगा -समाज में प्यार भरपूर स्नेह सम्मान उसे मिलें सब को सोचना होगा ..
यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवताः ...
जय श्री राधे
भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
सत्य को उजागर करती और मन को झकझोरती बहुत कुछ सोचने पर विवश करती मार्मिक प्रस्तुति.
बधाई.
इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,
जीवन की चम्पई साँझ में मलिन हो रहा मेरा दर्पण .
मुझसे मायने हर रिश्ते के और में किसी की कुछ भी नहीं...
यही नियति है, यही जीवन है....!!
भावमयी रचना।
समय के साथ संवाद करती हुई आपकी यह प्रस्तुति बहुत ही अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "भीष्म साहनी" पर आपका बेशब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
bahut achchi rachanaa .bahut badhaai aapko .
आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली का (३०) मैं शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आपका स्नेह और आशीर्वाद इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है
http://hbfint.blogspot.in/2012/02/30-sun-spirit.html
इस उपवन की मालिन में अकिंचन कुछ भी नहीं ..
क्रूरता है नियति की ये, व्यर्थ है मेरा समर्पण,
bahut hi marmik rachana ....sangita ji badhai sweekaren.
मुझसे मायने हर रिश्ते के ओर मैं किसी की कुछ भी नहीं
बहुत सही बात...
सुन्दर रचना...बधाई.....
नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)
satya vachan
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