आज भी याद आतें हैं बहुत सब ,जब भी सपनों में माँ मुस्कुराती है.............
उससे बिछड़े जमाना गुजर गया है ये सच है ,पर
जिंदगी की क़द्र, निभाना रवाजों का,भूली सी कुछ रवायतें ,सहलाना जज्बातों को ,
आज भी वो सपनों में आती है सिखा जाती है ......................
हर मोड़ पर हमें बहारों से मिलवाना उसका ,
हमारा हर बात पर रूठना,और मनाना उसका ,
आज भी कुहासे में हर गूँज उसे ही पुकारती है ,
सुनते ही वो सपनों में आती है सहला जाती है,
आज भी सपनों में माँ आती मुस्कुराती है..................
मसरूफियत हमारी तन्हा रह जाना उसका ,
दर्द की हर रात से मुस्कुराकर गुजर जाना उसका ,
गर्द और काँटों को हमारी राहों से बुहारना उसका,
रातों की परेशानियों को लोरियों से बहलाना उसका,अपने दामन में छिपा वीराने ,गुलिस्तान सजाना उसका,
आज भी याद हैं वो गुनगुनाते नगमें ,आज भी ख्वाबो में माँ मुस्कुराती है.
मेरे हर बोल में तू है माँ ,हर कहानी तुझसे है,
मेरे हर साज पर गुनगुनाते गीत तुझसे हैं
मेरी बहारों की हर रवानी तुझसे है ,
वक्त का तूफान का हमसे निगाहें चुराकर गुजर जाता है आज भी ;
तुझसे बिछड़े जमाना गुजर गया लेकिन आज भी सजदों म़े माँ नजर आती है ,