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सोमवार, 2 अप्रैल 2012

तलाश और सुकून

                  हर  शख्स मुकम्मिल जहाँ की तलाश में है व्यस्त,कि..

          उलझी हुई साँसे टूटे हुए साजों पर गीत गा नहीं सकतीं अब ;

         हर तरफ बिखरी हुईं हैं अश्कों में भीगी उम्मीदें ,थके हुए हौसले ,

       कि जी खोल कर अब खुद पर हसाँ भी नहीं जाता ; 

     अब ये आलम है कि gidagidata भी कोई नहीं ,सहन किया इतना कि , 

      थकन से चूर रेंगती हुई  जिंदगी का  बोझ उठाया नहीं जाता ,

  दहलीज पर काई की तरह जम गये हैं वो,नई इबारत लिक्खें भी तो कहाँ अब,

"दिल को अब भी सुकून है कि जिंदगी सिर्फ ज़र-जमीं का पैमाना नहीं,

यहाँ दर्द भी हैं एहसास भी हैं शौक़ भी हैं रवायतें भी हैं;

यह सिर्फ बेतरतीब सी साँसों का खजाना ही नहीं है,

चलो फिर कोई ख्व़ाब बुने नए कल के वास्ते क्योंकि ये ख्व़ाब ही तो असास (नींव)हैं  तहजीबे जिंदगी के ,

हर शख्स  मुकम्मिल जहाँ कि तलाश में व्यस्त है ..........................

 

 

 देश में जीवन मूल्यों कि अवहेलना ,साम्प्रदैकता के प्रचारकों की बढती संख्या ,कन्या वध (कन्या भ्रूण का  भी),

 

 

                                     

32 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर....

एक सार्थक रचना....
सादर.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन!


सादर

अशोक सलूजा ने कहा…

चलो फिर कोई ख्व़ाब बुने नए कल के वास्ते
पथरीली राहें निकल गई,शायद समतल हों नए रास्ते ||
शुभकामनाएँ!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत बढ़िया रचना,संगीता जी,...
सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

रश्मि प्रभा... ने कहा…

हर तरफ बिखरी हुईं हैं अश्कों में भीगी उम्मीदें ,थके हुए हौसले ,

कि जी खोल कर अब खुद पर हसाँ भी नहीं जाता ; .....सच कहा

dasarath ने कहा…

बहुत अच्छा लगा हमे!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Bahut Hi Umda Bahv.....

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

उम्दा लेखन्……

sangita ने कहा…

aap sbhi ka dhanyava mere blog par aakar mere utsaah vardhan hetu

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

क्योंकि ये ख्व़ाब ही तो असास हैं
सुंदर नज़्म...
हार्दिक बधाई।

बेनामी ने कहा…

दिल को अब भी सुकून है कि जिंदगी सिर्फ ज़र-जमीं का पैमाना नहीं,
यहाँ दर्द भी हैं एहसास भी हैं शौक़ भी हैं रवायतें भी हैं;
यह सिर्फ बेतरतीब सी साँसों का खजाना ही नहीं है,

ये पंक्तियाँ बहुत ही खुबसूरत हैं.....बहुत पसंद आयीं।

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

मुकम्मल जहां की तलाश दिल में है तो वह मौजूद भी होना चाहिए .

इसी का नाम जन्नत है या स्वर्ग है.

See
http://allindiabloggersassociation.blogspot.in/2012/04/blog-post_9049.html#comments

Anupama Tripathi ने कहा…

गहन अभिव्यक्ति ...
बहुत अच्छी लगी ...
शुभकामनायें ...!

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति!

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

जीवन की इस आपाधापी में हर कोई खुद में ही व्यस्त हैं ....आभार

Kailash Sharma ने कहा…

दिल को अब भी सुकून है कि जिंदगी सिर्फ ज़र-जमीं का पैमाना नहीं,

यहाँ दर्द भी हैं एहसास भी हैं शौक़ भी हैं रवायतें भी हैं;

....बहुत सुन्दर पंक्तियां...दर्द के बीच में भी आशा की एक किरण ....बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति..

Saras ने कहा…

हर किसी को मुकम्मल ज़िन्दगी मिलती नहीं
कहीं पर पंख हैं तो परवाज़ कहीं मिलती नहीं

...बहुत सच कहा आपने

dasarath ने कहा…

चलो फिर कोई ख्व़ाब बुने नए कल के वास्ते क्योंकि ये ख्व़ाब ही तो असास (नींव)हैं तहजीबे जिंदगी के ,बहुत प्रभावशाली लिखा है आपने

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

खूबसूरत शब्दों से सजी नज़्म ....

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

संगीता जी,
बहुत बढ़िया रचना

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

संगीता जी,
आप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया,"राजपुरोहित समाज" आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ,एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से सभी को भगवन महावीर जयंती, भगवन हनुमान जयंती और गुड फ्राइडे के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ॥
आपका
सवाई सिंह{आगरा }

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ख्वाब देखना तो फिर भी जारी रहना चाहिए ... थकान है .. बदलते मूल्य हैं पर आशा की किरण भी तो इन्ही के बीच से आणि है ...

Kavita Rawat ने कहा…

थकन से चूर रेंगती हुई जिंदगी का बोझ उठाया नहीं जाता ,
दहलीज पर काई की तरह जम गये हैं वो,नई इबारत लिक्खें भी तो कहाँ अब,
...sach kaha aapne..
bahut badiya prastuti..

Shikha Kaushik ने कहा…

sarthak post .aabhar
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Ramakrishnan ने कहा…

Wah khoob. Bahut sundar pharmaish.

amrendra "amar" ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.

S.N SHUKLA ने कहा…

सार्थक पोस्ट, आभार.

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

bilkul sahi ...........

dinesh aggarwal ने कहा…

खूबसूरत भाव एवं सुन्दर अभिव्यक्ति....

Rajput ने कहा…

बहुत खुबसूरत रचना.
एक शेर याद आता है
'कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कभी जमी तो कभी आसमान नहीं मिलता '

Sunil Kumar ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति....

Sadhana Vaid ने कहा…

दिल को अब भी सुकून है कि जिंदगी सिर्फ ज़र-जमीं का पैमाना नहीं,
यहाँ दर्द भी हैं एहसास भी हैं शौक़ भी हैं रवायतें भी हैं;
यह सिर्फ बेतरतीब सी साँसों का खजाना ही नहीं है,

बहुत प्रभावशाली रचना है संगीता ! आपका लेखन उत्तरोत्तर निखरता जा रहा है ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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