त्रासदी आजादी की
- गहन वेदना त्याग तपस्या एवम अनगिनत आहुतियों पश्चात् आजादी का जन्म हुआ,,
- जयघोष का आल्हादित और प्रफुल्लित नारों से आसमान गूंज उठा ,
- आज उम्र है पैंसठ की और गाथा क्या कहूँ,
- अनुभवों की झुर्रियों में छिपी है छले जाने की पीड़ा,
- रोज सुबह का सूरज मेरे सोये मन में नई आशा जगा जाता है ,
- पंछी के कलरव गीत नए बन जाते हैं ,पर .......
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- भूखा बचपन, बिकती कन्या ,और सिसकती तरुणाई है ,
- ये कैसी है नई सुबह, और ये कैसी संचार है :::::::::
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- वर्तमान के विकट स्वरूप में दुराचार की आंधी है,,
- शास्वत मूल्यों की तिलांजलि है , नेताओं की चांदी है:::::::::
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7 टिप्पणियां:
शास्वत मूल्यों की तिलांजलि है , नेताओं की चांदी है::::::::
सही कहा है शाश्वत मूल्यों के प्रति हर मनुष्य काश सजग होता,
आभार अच्छी पोस्ट ...
बहुत सुन्दर एवं सार्थक....
आभार
अनु
क्या बात है।
सुंदर और सार्थक प्रस्तुति !
भूखा बचपन, बिकती कन्या ,और सिसकती तरुणाई है ,
ये कैसी है नई सुबह, और ये कैसी संचार है :::::::::
...बहुत सटीक अभिव्यक्ति..
सार्थकता लिये सशक्त लेखन ... आभार
बहुत ही सार्थक एवं सशक्त अभिव्यक्ति ....
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