उम्र भर अश्क पीने की ये सजा क्यूँ है ??
लहरों की हलचल में छिपा है दरिया का दर्द
हर लहर से पूछ साहिल से पूछ आबे-खां से पूछ ::::::::::::::
बार-बार बात-बात पर मुझे झकझोरता क्यूँ हैं ?
चलने का हौसला ही नहीं है तो दूरी का ग़म सताता है ;
कदम दर कदम मंजिल का पता पूछता क्यूँ है ?
महफूज था दर्द मेरे सीने में जो गुजर गया सो गुजर गया ;
फिर उसकी याद रह-रह कर दिलाता क्यूँ है ?
10 टिप्पणियां:
वाह ... बेहतरीन
बहुत सुन्दर भावप्रणव प्रस्तुति...!
यादें नहीं जातीं ....
शुभकामनायें !
महफूज था दर्द मेरे सीने में जो गुजर गया सो गुजर गया ;
फिर उसकी याद रह-रह कर दिलाता क्यूँ है ?
....यादें कहाँ साथ छोडती हैं...बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति..
दिल को छूने वाली गजल !
भावपूर्ण रचना ....मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साहपूर्ण टिप्पणी के लिए आपका धन्यवाद ....!
खुदा और मेरे बीच इतना फासला क्यूँ है ;
उम्र भर अश्क पीने की ये सजा क्यूँ है ??
भावपूर्ण....बेहतरीन पंक्तियाँ
बहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई...कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
touching lines
चलने का हौसला ही नहीं है तो दूरी का ग़म सताता है ;
sunder prastuti.
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