थक चुके क़दमों से नहीं चला जाता मंजिल की ओर,
नहीं गाया जाता अब जीवन का वैभव गान ..........
भूल चुके अब मनस्थ राग विराग ;
सपनों का जाल अब और नहीं बुना जाता ...
तारों के प्रतिबिम्बा में नहीं खोज पाती अब अपनों को ;
मूक हुआ ह्रदय संगीत ,राग हो चले सभी मौन ;
थक चुके क़दमों से नहीं चला जाता मंजिल की ओर;
16 टिप्पणियां:
'हिम्मत न हार, ओ राही चल चला चल'
कभी कभी सच में थका थका महसूस होता है
अच्छी प्रस्तुति !!!
हर सुबह शाम में ढल जाता है
हर तिमिर धूप में गल जाता है
ए मन हिम्मत न हार
वक्त कैसा भी हो
बदल जाता है ….शुभकामनाएं .....सुन्दर प्रस्तुति...
थक चुके क़दमों से नहीं चला जाता मंजिल की ओर;,....बेहतरीन पोस्ट
MY RECENT POST.... काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
काश............के मंजिल आ जाती मुझ तक................
अनु
manzil
hogi agli rachna
de chuki hoon vidha sari, is jag main mai chalte chalte
aaj unheen rhoon pe kadmon ka rukna raas aata nahiin.
taaron ki chaaya hai maun, manzil ka rahi hai maun,
sangeet nayee dishaon ka bheena to hai
per samajh aata nahin.
sapno ke jaal se ubhra hai mera aaj
ese sajaoon kaise ye samajh aata nahin
haan! naya savera, geet naye,
puraani rahoon se judte chalte,
hamaara aaj in raagon main le chalaa hai man ko liye
kab paoon main manzil nayee
mujhse ab ruka jaata nahiin
बहुत सुंदर मन के उद्गार ...लेकिन .....
जब ठान ली मन में कि चलना है,तो फिर थकना क्या और रुकना क्या ...?
जितना चलेंगे ...मंजिल तक कि दूरी कम होती जायेगी ...मंजिल पास आती जायेगी ...!
बहुत शुभकामनायें ...!!
शानदार उदगार आप सभी का आभार|
sundar aur shandar
जरा निराश मन से लिखी कई कविता जान पड़ती है, आखिर सबके जीवन में ऐसा दौर भी आता है, जब इंसान मानसिक रूप से थक जाता है, और ह्रदय से ऐसे ही ख्यालात निकल कर आते है ।
जो भी हो पर मन के अभिव्यक्ति का उत्तम चित्रण किया है आपने ।
सूर्या
बहुत सुंदर .....शुभकामनाएं ...
man ke gahan bhavon ki abhivyakti .badhai
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जुझारू और कृत संकल्प प्रकृति की जैसी आप हैं यह हारा हुआ सा स्वर आपकी छवि के साथ मेल नहीं खाता ! आशा है यह एक क्षणिक आवेग है जिससे आप शीघ्र उबर जायेंगी ! निराशावादी होते हुए भी रचना बहुत ही खूबसूरत है ! बधाई एवं शुभकामनायें !
आगे से ध्यान रखूंगी मौसीजी|
थक चुके क़दमों से नहीं चला जाता मंजिल की ओर;,...
बहुत ही खूबसूरत रचना,...... शुभकामनाएं ...
MY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
ना जाने क्यूँ मन जब उदास हो जाता है तभी उसमे एक विराम आता है खुश होता है तो इधर उधर भागा फिरता है .....कुछ लोगो में अजीब सी शक्ति होती है .......मन में खुशी का जवार उठ रहा है ......ओर शांति से बैठे हुए एक मजाकिया कविता लिख रहे है
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