माँ तुझे सलाम
१ ). शरद सी शुभ चंद्रिका शुभ्र ज्योत्त्सना ममतामयी::::::::::::
निरभ्र व्योम सी शांत ,हे माँ सदा ही पूजानीय :::::::::::
पुष्प के पराग सी सूर्य की उजास सी ::::::::::::::::::::
चित्रकार की तूलिका सी नित नव कल्पनामयी :::::::::::::::
देवत्त्व भी आराधन करें दानवों की श्रद्धामयी ::::::
हे "माँ " सदा ही वन्दनीय तू "माँ " सदा ही पूजनीय :::
(२ )
१ ). शरद सी शुभ चंद्रिका शुभ्र ज्योत्त्सना ममतामयी::::::::::::
निरभ्र व्योम सी शांत ,हे माँ सदा ही पूजानीय :::::::::::
पुष्प के पराग सी सूर्य की उजास सी ::::::::::::::::::::
चित्रकार की तूलिका सी नित नव कल्पनामयी :::::::::::::::
देवत्त्व भी आराधन करें दानवों की श्रद्धामयी ::::::
हे "माँ " सदा ही वन्दनीय तू "माँ " सदा ही पूजनीय :::
(२ )
अब भी संजोये रक्खे हैं मैंने हथेली पर वे लम्हें;
जब उंगली थामें तुम मेरे क़दमों के साथ चला करतीं थीं ::::::
मेरे आंसुओं के छंद तुम्हारी हंसी की सरगम में ढल जाया करते थे:: मेरे सपनों की ताल पर तुम अपनी जिन्दगी की सूरत बदल लिया करतीं थीं :::::::::
कई बार झटके हैं हाथ मैने ,फिर भी सलामत रक्खे हैं वे लम्हें::::::::::::::::::::::
मुझमें कई बार अपना बचपन तलाशते पाया है तुम्हें :::::::::::::::::::::
अपना वजूद खुद में समेटे हमारी दुनिया के आँगन में::::::::::::::::::::
भुला कर सभी सपने अपने खो जातीं हमारे जीवन उत्सव में:::::::::::::;;;
मेरे हौसलों की उड़ानों में ,मेरी जिन्दगी की हर लय में :::::
मेरे जीवन के गुजरते सारे आरोहों-अवरोहों के ::::::::::::::::::::::::::
तुम्हारे पूजन ,अर्चन की ही छाया तले हँसते हुए लम्हें :::::::::::
तन्हाइयों में भी कभी तनहा होने देते नहीं :::::::::::;;;
तुम्हारी ममता की खुशबू से सराबोर लम्हें ::::::::::::::::;;
सदा ही सहेजे रक्खेंगे हम प्यार में भीगे ये अमोल लम्हें::::::::::::::::::::
23 टिप्पणियां:
माँ तुझे सलाम ........बहुत सुन्दर..संगीता जी..
तुम्हारी ममता की खुशबू से सराबोर लम्हें ::::::::::::::::;;
सदा ही सहेजे रक्खेंगे हम प्यार में भीगे ये अमोल लम्हें::::::::::::::::::::
sarthak abhivyakti ..
shubhkamnayen ...!!
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
माँ तुझे सलाम
खूबसूरत प्रस्तुति ||
माँ को नमन...सुंदर शब्दों से पिरोई गई कविता.
माँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती आपकी खुबसूरत रचना....माँ तो सिर्फ माँ होती है...... .माँ तुझे सलाम...
maa to aakhir maa hai..............sara ziwan arpn kar bhi uske karz ko nahi utara ja sakta hai.........
बहुत सुंदर..... हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ
इतने सारे खूबसूरत एहसास एक साथ भावप्रणव रचना!
ममतामयी माँ को नमन!!..
बहुत सुन्दर संगीता ! 'माँ' नाम का एक यह शब्द ही अद्भुत है जो चिर प्राणवान है और सदैव हमारे हृदय में, हमारी स्मृतियों में हमारी अनुभूतियों में दिल बन कर धड़कता रहता है ! 'सुधीनामा' पर आपकी प्रतीक्षा है !
ममता की खुशबू से महकती सुन्दर रचना... आभार
बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
वाह! बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना है,बधाई आप को
umda ,bahut hi umda!
sangita bht acha likha........dil ko sparsh kar ti hae
आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार १५ /५/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |
अगर इस दुनिया में माँ न होती तो ये दुनिया बड़ी बदसूरत होती
बहुत ही सुन्दर...
शानदार प्रस्तुति.....
happy mother's day:-)
sunder prastuti..sadar badhayee aaur amant
माँ को परिभाषित करना ... संभव नहीं ...सुंदर पोस्ट
ममता की खुशबू से महकती सुन्दर प्रस्तुति.....
.. आभार
कभी कभी लगता है इश्वर का विराट रूप ही 'माँ 'है ....बहुत सुन्दर!!!!!
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