वो शोखियों में लिपटी मुस्कान न रही ,
तबस्सुम में भी दिलकशी बाकी न रही .............
सीने से लगाये हूँ उम्मीदों की तलाश ,
कि खामोशियों में भी अब बैचेनी न रही ;;;;;;;;;;;;;
माना की जिंदगी ही तगाफुल ही रही मुझसे हमेशा ,,
कंधों पर सजाती रही है बारे-मसाइब (मुसीबते) हमेशा
क्यूँ खोजती हूँ नए तर्ज के नए गीत हमेशा ;;;;;;;;;
जब मेरी जीस्त के मुकद्दर में ही रोशनी न रही ::::::::::::::::;
अब भी जमाने की तल्खियों ने पुकारा है मुझे ,
जलती हुई राहों पर सिसकती हुई रूहों ने पुकारा है मुझे ,,,,,,,
जाता हुआ वक्त भी दिखाई देता है ,कुछ साए भी नजर आते हैं ;;;;;;;;;
उम्र भर रेंगते रहने की सजा सुनाई है मुझे ;;;;;;;;;;;;;
कुछ भी तो न रहा अब जिंदगी भी बाकी न रही::::::::::::::::::::
वो शोखियों में लिपटी मुस्कान न रही