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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

शंखनाद

अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं , 
वक्त आया है की अब बुद्धिबल दिखाएँ .
देश का  दुर्भाग्य न बने आज फिर वह राह बनाएं 
अब कोई वार्ता और कोई छल नहीं  ,
आकाश के तारों की भांति टिमटिमाना छोड़ दें ,
आदित्य की पावक ,अनल दुशाला ओढ़ लें 
अमृत की आशा में गरलपान  अब और नहीं 
खो गया विश्वास और भूल चले उल्ल्हास है 
असफल और अकुशल अब इस जगत का व्यवहार है ,
अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं 
आज अग्नि वीणा पर दग्ध कंठ का गान है 
सुप्त जागृत हुआ और मौन मुखरित प्राण है 
छल-छद्म की अठखेलियाँ और नहीं बस और नहीं 
अब नहीं होगा कहीं अवसाद का सम्मान है 
गलते रहें ,बहते रहें,जलते रहें स्वीकार नहीं 
 निर्भीक भ्रष्ट आचरण  का वैभव गान अब और नहीं |  

27 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं ,
बेहतरीन अभिव्‍यक्ति
नववर्ष की अनंत शुभकामनाओं के साथ ...बधाई ।

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं ,
वक्त आया है की अब बुद्धिबल दिखाएँ .

बहुत सुन्दर...
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया।

नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।

सादर

virendra sharma ने कहा…

निर्भीक भ्रष्ट आचरण का वैभव गान अब और नहीं |
प्रेरक रचना .नव वर्ष मुबारक .

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

Rakesh Kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति है आपकी.
नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.

dinesh aggarwal ने कहा…

जागृति लाने वाली प्रेरक रचना।
नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

Sadhana Vaid ने कहा…

अत्यंत ओजपूर्ण संकल्प एवं प्रेरक आह्वान है आज की रचना में जो मन पर स्पष्ट छाप छोडता है ! बहुत सुन्दर संगीता ! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

आज अग्नि वीणा पर दग्ध कंठ का गान है
सुप्त जागृत हुआ और मौन मुखरित प्राण है

आकाश के तारों की भांति टिमटिमाना छोड़ दें ,
आदित्य की पावक ,अनल दुशाला ओढ़ लें

अत्यंत ही ओजपूर्ण...

ASHOK BIRLA ने कहा…

kuch kar dikhane ka jajba ...aag jo ab jal uthi hai ....bahut hi sundar

Jeevan Pushp ने कहा…

बहुत सुन्दर !

संजय भास्‍कर ने कहा…

... सार्थक रचना
आप को भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bahut hi suvichaar ... bahut hui vinamrata - ab hunkaar zaruri hai

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर सार्थक रचना..
आपको सपरिवार नव-वर्ष २०१२ की हार्दिक शुभकामनाये !

Rajput ने कहा…

अमृत की आशा में गरलपान अब और नहीं ....

बहुत सुन्दर रचना,नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

NICE POEM.

vidya ने कहा…

बहुत बढ़िया..
सार्थक और सुन्दर रचना के लिए आपको बधाई संगीता जी.

Nidhi ने कहा…

प्रेरणा से भरपूर रचना

डा श्याम गुप्त ने कहा…

अनल दुशाला ओढ़ लें ..
---सत्य बचन..अब समय आगया है कि अनय अनेति का खुल कर विरोध किया जाये.... सुन्दर भाव ..बधाई ...

***Punam*** ने कहा…

अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं ,
वक्त आया है की अब बुद्धिबल दिखाएँ .
देश का दुर्भाग्य न बने आज फिर वह राह बनाएं

vastav mein aaj zaroorat isi ki hai...
bahut sundar..!

DUSK-DRIZZLE ने कहा…

IT IS THE VOICE OF REBELLION

केवल राम ने कहा…

सम्यक भावों से ओतप्रोत ओजपूर्ण प्रस्तुति .....!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

प्रेरक रचना बहुत सुंदर प्रस्तुति...

WELCOME to new post--जिन्दगीं--

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर और सशक्त रचना!

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना सुन्दर शब्दों का चयन तथा विषय वास्तु का गहरा संयोजन बधाई .
शंखनाद शीर्षक पर मैंने एक कहानी भी लिखी है यह कहानी आपको मेरे ब्लॉग पर नवम्बर माह २०११ में मिलेगी आशा है आप जरूर अवलोकन करेंगी |

कौशल किशोर ने कहा…

अच्छा शंखनाद .......सुन्दर भाव ..............

मेरा ब्लॉग पढने और जुड़ने के लिए क्लिक करें.
http://dilkikashmakash.blogspot.com/

Nirantar ने कहा…

vichaaron ko jhanjhodtee sundar abhivyaktee

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