अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं ,
वक्त आया है की अब बुद्धिबल दिखाएँ .
देश का दुर्भाग्य न बने आज फिर वह राह बनाएं
अब कोई वार्ता और कोई छल नहीं ,
आकाश के तारों की भांति टिमटिमाना छोड़ दें ,
आदित्य की पावक ,अनल दुशाला ओढ़ लें
अमृत की आशा में गरलपान अब और नहीं
खो गया विश्वास और भूल चले उल्ल्हास है
असफल और अकुशल अब इस जगत का व्यवहार है ,
अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं
आज अग्नि वीणा पर दग्ध कंठ का गान है
सुप्त जागृत हुआ और मौन मुखरित प्राण है
छल-छद्म की अठखेलियाँ और नहीं बस और नहीं
अब नहीं होगा कहीं अवसाद का सम्मान है
गलते रहें ,बहते रहें,जलते रहें स्वीकार नहीं
निर्भीक भ्रष्ट आचरण का वैभव गान अब और नहीं |
वक्त आया है की अब बुद्धिबल दिखाएँ .
देश का दुर्भाग्य न बने आज फिर वह राह बनाएं
अब कोई वार्ता और कोई छल नहीं ,
आकाश के तारों की भांति टिमटिमाना छोड़ दें ,
आदित्य की पावक ,अनल दुशाला ओढ़ लें
अमृत की आशा में गरलपान अब और नहीं
खो गया विश्वास और भूल चले उल्ल्हास है
असफल और अकुशल अब इस जगत का व्यवहार है ,
अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं
आज अग्नि वीणा पर दग्ध कंठ का गान है
सुप्त जागृत हुआ और मौन मुखरित प्राण है
छल-छद्म की अठखेलियाँ और नहीं बस और नहीं
अब नहीं होगा कहीं अवसाद का सम्मान है
गलते रहें ,बहते रहें,जलते रहें स्वीकार नहीं
निर्भीक भ्रष्ट आचरण का वैभव गान अब और नहीं |
27 टिप्पणियां:
अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं ,
बेहतरीन अभिव्यक्ति
नववर्ष की अनंत शुभकामनाओं के साथ ...बधाई ।
अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं ,
वक्त आया है की अब बुद्धिबल दिखाएँ .
बहुत सुन्दर...
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
बहुत ही बढ़िया।
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
सादर
निर्भीक भ्रष्ट आचरण का वैभव गान अब और नहीं |
प्रेरक रचना .नव वर्ष मुबारक .
बहुत सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत ही सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति है आपकी.
नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
जागृति लाने वाली प्रेरक रचना।
नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
अत्यंत ओजपूर्ण संकल्प एवं प्रेरक आह्वान है आज की रचना में जो मन पर स्पष्ट छाप छोडता है ! बहुत सुन्दर संगीता ! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
आज अग्नि वीणा पर दग्ध कंठ का गान है
सुप्त जागृत हुआ और मौन मुखरित प्राण है
आकाश के तारों की भांति टिमटिमाना छोड़ दें ,
आदित्य की पावक ,अनल दुशाला ओढ़ लें
अत्यंत ही ओजपूर्ण...
kuch kar dikhane ka jajba ...aag jo ab jal uthi hai ....bahut hi sundar
बहुत सुन्दर !
... सार्थक रचना
आप को भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर
bahut hi suvichaar ... bahut hui vinamrata - ab hunkaar zaruri hai
बहुत सुन्दर सार्थक रचना..
आपको सपरिवार नव-वर्ष २०१२ की हार्दिक शुभकामनाये !
अमृत की आशा में गरलपान अब और नहीं ....
बहुत सुन्दर रचना,नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
NICE POEM.
बहुत बढ़िया..
सार्थक और सुन्दर रचना के लिए आपको बधाई संगीता जी.
प्रेरणा से भरपूर रचना
अनल दुशाला ओढ़ लें ..
---सत्य बचन..अब समय आगया है कि अनय अनेति का खुल कर विरोध किया जाये.... सुन्दर भाव ..बधाई ...
अब कोई प्रार्थना और कोई वंदन नहीं ,
वक्त आया है की अब बुद्धिबल दिखाएँ .
देश का दुर्भाग्य न बने आज फिर वह राह बनाएं
vastav mein aaj zaroorat isi ki hai...
bahut sundar..!
IT IS THE VOICE OF REBELLION
सम्यक भावों से ओतप्रोत ओजपूर्ण प्रस्तुति .....!
प्रेरक रचना बहुत सुंदर प्रस्तुति...
WELCOME to new post--जिन्दगीं--
बहुत सुन्दर और सशक्त रचना!
बहुत ही सुन्दर रचना सुन्दर शब्दों का चयन तथा विषय वास्तु का गहरा संयोजन बधाई .
शंखनाद शीर्षक पर मैंने एक कहानी भी लिखी है यह कहानी आपको मेरे ब्लॉग पर नवम्बर माह २०११ में मिलेगी आशा है आप जरूर अवलोकन करेंगी |
अच्छा शंखनाद .......सुन्दर भाव ..............
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http://dilkikashmakash.blogspot.com/
vichaaron ko jhanjhodtee sundar abhivyaktee
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